उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में दो चचेरी बहनों की हत्या का मामला बहुत पेंचीदा हो गया है। दरअसल अब यह मामला आत्महत्या में बदल गया है। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सी.बी.आई. ने जांच पड़ताल के बाद रिपोर्ट तैयार की। इसमें कहा गया है कि लड़कियों की हत्या नहीं बल्कि उन्होंने आत्महत्या की है।
यह मामला इसी साल मई में सामने आया था। विरोध में देश में प्रदर्शन हुए। पुलिस ने पांचों आरोपियों को पकड़ भी लिया था। लेकिन जल्दी ही उन्हें छोड़ दिया गया। अगर मोटे तौर पर इस रिपोर्ट को देखें तो कहा गया है कि इनमें से एक बहन का एक आरोपी व्यक्ति के साथ प्रेम चल रहा था। उसने इस लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाया। जिसका वीडियो उसके घरवालों के हाथ लग गया। डर कर उन लड़कियों ने आत्महत्या कर ली। यानी जांच एजेंसी कह रही है कि मेडिकल जांच के आधार पर पुलिस द्वारा लिखी गई रिपोर्ट गलत थी। अभी तक जो मां-बाप इन लड़कियों के इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ रहे थे वह अब इन मौतों के जि़म्मेदार ठहराए जा रहे हैं।
लेकिन पूरे मामले में आए इस नाटकीय नतीजे को पढ़ने के बाद सी.बी.आई. जैसी तेज दिमाग एजेंसी से कुछ सवाल पूछे जाने ज़रूरी हैं – अब इन आम लड़कियों की मौत का दोषी कौन? दूसरी लड़की ने आत्महत्या क्यों की? पुलिस प्रशासन इतना लापरवाह है, तो फिर कितने ही मामलों में गल्तियां होती होंगी? रिपोर्ट जिस मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर लिखी गई उससे क्या कोई सवाल पूछा गया कि उसने ऐसा क्यों किया? अक्सर यह भी देखा जाता है कि ज़्यादातर दहेज के कारण जलाई जाने वाली औरतों की हत्या या दूसरी तरह की घरेलू हिंसा और यौन हिंसा का सामना करने वाली औरतों की हत्या। इन्हें आखिर में आत्महत्या या कोई दुर्घटना साबित कर दिया जाता है। यह दुखद है कि यह रिपोर्ट भी आखिरकार इसी नतीजे पर ही पहुंची।
इनकी मौत का जिम्मेदार कौन?
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