जिला वाराणसी। सरकार त सन्देश पहुंचा देहले हव कि हर गावं के हर बच्चन के शिक्षा मिले के चाही। बच्चन के शिक्षा के जिम्मेदारी के साथ साथ सरकार के इ भी जिम्मेदारी हव कि स्कूल के का हाल हव। लेकिन देखल जाए त हर स्कूल में कउनो न कउनों परेशानी पड़ल हव।
गावं के स्कूल में कहीं हैण्डपम्प नाहीं हव त कहीं बाउडी टूटल हव। कहीं शौचालय नाहीं हव। कहीं कहीं शौचालय हव भी त ओमे ईटा पतथर पड़ल हव। जब सरकार हर बच्चन के शिक्षा के अधिकार देहले हव त ओकरे साथ सथ व्यवस्था भी होवे के चाही। अगर स्कूल के एही हाल रही त हर बच्चा स्कूल जाए में आना कानी करी।
हथियरकला, मुनारी, डुबकियं, धरसौना आदि जगह के स्हूल के हालत देखे लायक हव। सरकार के सुविधा के बच्चन के कउन फायदा हव? अब अगर सरकारी स्कूल में हैण्डपम्प, शौचालय ना रही त बच्चन पानी पिए आउर शौच खातिर के बहरे जहियन। एसे ना तो ठीक से पढ़ाई हो पाई आउर ना तो बच्चन के ठीक से पढ़ाई में मन लगी। हर सरकारी स्कूल के बच्चन कउनों ना कउनों समस्या से जूझत हयन।
सरकार के इतना व्यवस्था के कउन फायदा जब बच्चन के ना तो कउनों सुविधा मिलत हव ना तो कउनों व्यवस्था।
आवास के नाम पर वसूलत पइसा
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