कोहरा छाया ओस गिरी, जाड़े से जनवरी भरी।
दिन छोटे हैं रात बड़ी, फूल लिए फरवरी खड़ी।
तेज हुई सूरज की टार्च, महुआ से महका है मार्च।
गांव गली तपते खपरैल, आग लगाता है अप्रैल।
लाया धूप पसीना रे, मारे मई महीना रे।
तेज बडे़ लू के नाखून, जान बचाओ आया जून।
वर्षा लेकर आई, कितनी सुखद जुलाई।
नाचे मयूरा होकर मस्त, झूले लिए आया अगस्त।।
इन्द्र धनुष है अम्बर में, मौसम मुदित सितंबर में।
पेड़ों ने भी पत्ते झाड़े, अक्टूबर के पिछवाड़े।
देखो लगा कांपने बंदर, आया ठिठुरन लिए नवंबर।
लगती धूप सुन्दर, खत्म साल आ गया दिसंबर।।
नाम – संजना कुमारी, गांव – नहरी,
ब्लाक – नरैनी, जिला बांदा