जिला लखनऊ। यहां का आम पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है। खास तौर पर दशहरी आम तो सबका चहेता है। लंगड़ा और सफेदा आम भी खूब पसंद किया जाता है। लेकिन इस बार बिन मौसम हुई बरसात ने यहां के खास ‘आम’ की फसल को बरबाद कर दिया।
आम के पेड़ों पर लगे फूल यानी मंजरी जो आगे चलकर फल बनती हैं। तेज़्ा आंधी और बरसात में झड़ गईं। जिला उद्यान अधिकारी बाली शरण चैधरी ने बताया कि अभी तक बरबाद आम की आई सर्वे रिपोर्ट में बयालिस से पचास प्रतिशत आम की फसल का नुकसान पाया गया है। जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार लखनऊ में नब्बे प्रतिशत लोग आम की बागवानी करते हैं। ऐसे में यह नुकसान यहां के किसानों पर बहुत ज़्यादा असर डालेगा।
किसान मोहम्मद रसूल और फूल मोहम्मद ने बताया कि बरसात के साथ आंधी भी आई जिससे हमारे आम का बहुत नुकसान हुआ। काकोरी में ज़्यादातर लोग आम की ही बागवानी करते हैं। कुछ ही लोग सब्ज़ी या बाकी के अनाज उगाते हैं। राजू वर्मा ने बताया के मेरे पास बारह बीघा खेत है, जिसमें आठ बीघे में आम के बगान है बाकी के खेत में सब्जी और अनाज उगाता हूं। साल में लगभग तीन लाख रुपए आम से आ जाते थे। पर इस बार तो कुछ नहीं मिलेगा।
अखिल भारतीय आम एसोशिएसन के अध्यक्ष इंसराम ने बताया कि पूरे उत्तर प्रदेश में तीस प्रतिशत आम का नुकसान हुआ है। उत्तर प्रदेश में करीब तीन लाख हेक्टेयर जमीन में हर साल अडतिस से चालीस लाख टन आम पैदा होता है। यहां से हर साल आठ से नौ टन आम सऊदी अरब दुबई भेजा जाता है।
आम की विभिन्न प्रजातियों पर शोध कर रहे सी.एस.एस. रहमान केन्द्र के निदेशक शैलेंद्र राजन ने बताया गांव की फसलों का ज़्यादा नुकसान हुआ है। लेकिन जितना बचा है उसमें अब कीड़ा लगने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में ज़्ारूरी है कि हम सही समय पर कीटनाशक प्रयोग करें। जिला उद्यान अधिकारी बाली शरण चैधरी ने बताया के सर्वे चल रहा है। इसके बाद ही मुआवजे की प्रक्रिया शुरू होगी।