दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों ने चुनाव विश्लेषकों, जनता और बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों को चैंका दिया है। आम आदमी पार्टी ने सत्तर में से सड़सठ सीटें जीतीं। जबकि नौ महीने पहले भारी बहुमत से जीतकर आनेवाली भारतीय जनता पार्टी को केवल तीन सीटें मिलीं। आखिर इस जीत का कारण क्या है? इसके लिए जवाब भाजपा के कार्यकाल के दौरान घटी घटनाओं पर नजर दौड़ानी पड़ेगी।
दिल्ली में त्रिलोकपुरी में सांप्रदायिक दंगे हुए। पिछले दो महीनों के भीतर राज्य में पांच चर्च में हमले हुए। देशभर में खुलेआम हिंदूवादी संगठन द्वारा घर वापसी नाम से धर्म परिवर्तन कार्यक्रम चलाया गया। महंगाई एक बड़ी वजह बनी। इन सबसे भी ज़्यादा जिस काले धन को वापस लाने का वादा भाजपा ने चुनाव से पहले किया था, वह अब तक पूरा नहीं हुआ। यानि आम आदमी पार्टी की जीत के पीछे भाजपा द्वारा चुनावी वादों को पूरा न कर पाना और अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमले बड़ा कारण बने।
भारत जैसा देश जहां सभी धर्म के लोगों को आज़ादी से रहने का संवैधानिक अधिकार मिला है वहां सांप्रदायिक माहौल को दिल्ली की जनता ने नकार दिया। हालांकि 2013 में हुए चुनाव में जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने केवल उनचास दिनों में इस्तीफा दे दिया था, उससे जनता नाराज़ थी। पर पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल से खुलेआम मांगी गई माफी के बाद लोगों ने उन्हें अपना समर्थन भी खुलकर दिया।
आम आदमी पार्टी ने भी कई वादे किए हैं। इन्हीं वादों के पूरा होने की उम्मीद के साथ जनता ने उन्हें जिताया है।
आप को जीत की बधाई पर निभाने पड़ेंगे वादे
पिछला लेख