50 वर्षीय साकिना अशफाक, आधार होने के बाद भी भूख से मर गई। लेकिन अधिकारियों का कहना है कि वह बीमारी से मरी है।
दरअसल, सकिना एक बेहद गरीब परिवार की महिला थीं। भारत सरकार की ओर से उन्हें अंत्योदय कार्ड भी प्राप्त था। केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजना के तहत सबसे गरीब परिवारों को यह कार्ड दिया जाता है जिसे अंत्योदय अन्न योजना के नाम से भी जाना जाता है।
अंत्योदय कार्ड कार्डधारियों को अत्यधिक रियायती कीमतों पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की दुकानों से 35 किलोग्राम राशन उपलब्ध कराता है।
सकिना गरीब होने के साथ अपना एक पैर भी गंवा चुकी थीं। इसलिए वह अपनी उंगलियों के निशान के सत्यापन के लिए गांव के पीडीएस दुकान पर जाने में असमर्थ थी। यह आधार कार्ड के लिए सबसे अनिवार्य क्रिया है।
नवंबर में जब वह बहुत बीमार हुई तब दुकानदार से भीख मांगने और उसकी शिकायत के बावजूद जब उनको राशन का कोटा आवंटित गई।
नहीं हुआ तब पांच दिन भूखे रहन के बाद उनकी मौत हो गई।
यह सिर्फ एक कहानी नहीं है बल्कि आधार कार्ड के न होने के कारण और उससे जुड़ी दिक्कतों से जूझने के कारण कई लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं।
उदाहरण के लिए, 28 सितंबर, 2017 को झारखंड के सिमडेगा के सुदूरवर्ती प्रखंड जलडेगा में गरीबी से त्रस्त 11 साल की संतोषी की पिछले दिनों मौत हो गयी थी। संतोषी एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी तथा गरीबी के कारण उसे पढ़ाई छोड़ बकरी चराने पर विवश होना पड़ा था। बकरी चराने के एवज में उसे एक शाम का खाना मिल जाता था लेकिन बीमार होने के कारण वह बकरी चराने नहीं जा पा रही थी जिसके वजह से उसे एक शाम का भी खाना नसीब नहीं हुआ। उसके परिवार को पिछले 7 महीनों से राशन का अनाज नहीं मिला था। राशन डीलर की लापरवाही से उसका राशन कार्ड गुम हो गया था और उसका दूसरा राशन कार्ड नहीं बन पाया था।
आधार कार्ड ले रहा है गरीब लोगों की जान!
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