ओडिशा के नियमगिरी की पहाड़ी में बसे डोंगरिया कोंध आदिवासियों ने ब्रिटेन (विदेशी) की कंपनी वेदांता की खनन परियोजना को रोक दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ओडीशा के कालाहांडी और रायगढ़ जिले की नियमगिरी पहाड़ी में बसी कुल 12 ग्राम सभाओं को इस परियोजना को मंज़ूर करने या न करने का अधिकार दिया गया था। लेकिन सभी ने खनन के विरोध में ही अपने वोट डाले।
19 अगस्त को रायगढ़ की अंतिम ग्रामसभा जराया ने भी अपना फैसला सुना दिया। साल 2010 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने ओडिशा की राज्य सरकार की खनन कंपनी ओडिशा खनन कारपोरेशन लिमिटिड के खनन लाइसेंस को रद्द कर दिया। मंत्रालय का कहना था कि यहां पर खनन होने से आदिवासियों के लिए बने साल 2006 के वन कानून का उल्लंघन होगा।
कैसे मिला अधिकार-नियमगिरी क्षेत्र में संविधान के
द्वारा वन में रहने वाले लोगों को दिए गए वन अधिकार कानून की पांचवीं अनुसूची लागू है। इसके अनुसार यहां की जमीन किसी गैर आदिवासी को नहीं बेची जा सकती है। यहां के बारे में फैसला लेने से पहले यहां के आदिवासियों की मंजूरी लेनी पड़ती है। इसीलिए खनन परियोजना को लेकर आदिवासियों से वोट डलवाए। लेकिन सवाल ये उठता है कि कानूनन अगर यह जमीन किसी को नहीं बेची जा सकती है तो राज्य सरकार ने वेदांता कंपनी के साथ इस परियोजना की शुरुआत क्यों की ?