अफगानिस्तान का पहला महिला ऑर्केस्ट्रा दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच में अपनी प्रस्तुति देने को तैयार है। यह कार्यक्रम इसलिए अहम है क्योंकि इन लड़कियों को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इसके अलावा इन पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि गाने-बजाने में शामिल होकर ये लड़कियां अपने परिवारों का नाम खराब कर रही हैं।
लेकिन इन हालात के बावजूद लड़कियों का डटे रहना उनकी हिम्मत और आने वाले सकारात्मक बदलावों के प्रति उनकी दृढ़ता को दर्शाता है। जोहरा नामक यह आर्केस्ट्रा दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच में अपनी प्रस्तुति देकर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए तैयार है।
इस समूह में 13 से 20 साल की उम्र की 35 लड़कियां शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर गरीब परिवारों से ताल्लुक रखती हैं और कुछ अनाथ हैं। इस समूह ने 2 मार्च को एक सत्र के दौरान और 3 मार्च को समापन समारोह में करीब 3,000 मुख्य कार्यकारियों और राष्ट्र प्रमुखों के समक्ष प्रस्तुति दी।
इस प्रस्तुति का नेतृत्व नेगिना खपलवाक कर रही हैं। इस समूह की इन लड़कियों ने एक साथ प्रस्तुति देकर बेहद रूढि़वादी और युद्ध प्रभावित देश में मिलने वाली हत्या की धमकियों और किए जाने वाले भेदभाव पर विजय हासिल कर ली है।
स्कार्फ के बाल बांधे, अपने इंस्ट्रूमेंट पर ध्यान देते हुए इन संगीतकारों ने खपलवाक के नेतृत्व में इस महीने की शुरुआत में काबुल में अपना आखिरी रिहर्सल किया था। डॉ अहमद सरमास्त खुद एक संगीतज्ञ हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ म्यूजिक और जोहरा ऑर्केस्ट्रा की स्थापना की। वह खपलवाक के बारे में बात करते हुए गर्व महसूस करते हैं, जो अफगानिस्तान की पहली महिला कंडक्टर हैं।
अहमद अफगानिस्तान में महिलाओं के संगीत सीखने को लेकर खतरे को समझते हैं। तालिबान के दमनकारी शासन के दौरान 1996-2001 के बीच लड़कियों के संगीत सीखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और अब भी लोग रूढ़िवादी समाज में जकडे़ हुए हैं। वह कहते हैं कि जोहरा अफगानिस्तान के लिए बहुत प्रतीकात्मक हैं।