फैजाबाद के अयोध्या कस्बा गोलाघाट अउर तारुन मिसिरहिया गंाव मा पहले पति मारिन अउर जब मेहरारू रिपोर्ट लिखावै गै तौ रास्ता महसे वापस समझाए के लौटाय लाइन। आज भी कहीं-कहीं ई स्थिति बाय कि मेहरारू का घर के बाहर नाय उठै दियतिन। ई कदम मेहरारू चाह के भी नाय उठाय सकत।
दहेज जवन समाज के ताई कलंक बनिगै बाय। केतना मनई सबका जागरूक करै। लकिन वकै प्रभाव आज भी बना बाय। अबहीं जल्दी कै घटना 9 नवम्बर 2013 का प्रतिमा अपने दुई बिटिया के साथे जल के मरि गईन प्रतिमा की तरह हर दिन एक न एक बिटिया जलाई जात हईन या खुद जल जात हइन। लकिन रिपोर्ट दस महसे चार ही दर्ज हुवत बाय। जेतनै दहेज विरोधी नियम लागत बाय वतनै कउनौ सुधार नाय हुवत बाय। अगर मेहरारू खुद निकलके रिपोर्ट लिखावै चाहाथिन तौ अक्सर समझौता कराय दीन जाथै। उनका हक के ताई आगे नाय बढ़ै दीन जात। हिंआ तक कि उनके घर वाले रोंक लगावाथिन। मेहरारु दहेज के खिलाफ बोलै, रिपोर्ट लिखावै यसे उनका कानून अउर समाज से भी मदद मिले। तबै यहि प्रथा पै कुछ असर पड़े।
आज भी जलाई जात बहू
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