आचार संहिता लागू भा तौ विकास अउर बजट के सबै काम रूक गे हैं। नियम का पालन तौ होत है, पै वहिसे बढ़ के या भी सच्चाई है कि गांव के विकास के काम जान के रोकैं का नींक बहाना भी मिल गा है। प्रधान से डी.एम. तक जुड़े काम रूक गे हैं।
कउनौ भी विकास के काम या फेर विभाग के जिम्मेदारी वाले काम करावैं के जवाबदेही मा कउनौ अधिकारी, करमचारी अउर प्रधान कहत हैं कि आचार संहिता के मारे सबै काम रूके हंै। बजट नहीं पास होत आय। या फेर सड़क, नाली, खड़ण्जा जइसे के सबै काम चुनाव के बाद होइहैं। अगर बजट पास भी है तौ काम रूका है। इनतान के बात काहे कही जात है जबै कि अगर बजट पास है तौ काम मा रूकावट न होय का चाही। जउने खातिर आचार संहिता लागू कीन जात है वहिमा आचार संहिता के उल्लंघन करैं मा तनकिव हिचक निहाय। खुले आम प्रशासन के सामने पार्टी वाले वोट मांगत हैं। अउर माइक लगा के प्रचार प्रसार करत हैं, पै गरीब जनता विभाग का कउनौ भी कागजी काम करावंै जात है तौ विभाग वाले यहै कहिके लउटा देत हैं कि अबै चुनाव का समय है। आचार संहिता लागू है तौ या काम न होई पाई। जबै कि आचार संहिता तौ प्रचार प्रसार का रोकै खातिर अउर पार्टी के एक दूसरे के खिलाफ भड़कावै का रोक लगावंै खातिर लागू है।
आचार संहिता के आड़ मा रूक गे सबै काम
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