हाल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (आप) के कुछ मंत्रियों के काम ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – पार्टी आखिर कौन से आम आदमी के लिए है?
आम आदमी पार्टी के मंत्री सोमनाथ भारती ने कानून तोड़ा, बाहरी देश की महिलाओं पर कही-सुनी बातों के आधार पर आरोप लगाए और फिर केजरीवाल और उनकी पार्टी पहुंच गई धरना देने। इस बार उनका कहना था कि पुलिस वालों ने भारती की बात नहीं मानी इसलिए उन्हें हटा देना चाहिए। एक और पुलिस अफसर को हटाने की मांग की क्योंकि दो हफ्ते पहले उसके क्षेत्र में एक विदेषी पर्यटक का बलात्कार हुआ था। सवाल यह उठता है कि जहां बलात्कार को महिलाओं की असुरक्षा मानकर एक पुलिस वाले को सस्पेंड कराने की मांग हो रही है, वहां अपने ही कानून मंत्री का अफ्रीकी महिलाओं के घर ज़बरदस्ती घुसकर उनका अपमान करना – दो विपरीत बातें नहीं हैं? जब केजरीवाल ने उस पुलिसवाले के खिलाफ धरना दिया जिसने भारती की जि़द्द को न मानकर अफ्रीकी महिलाओं को हिरासत में लेने से मना कर दिया था, तो क्या उन महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा इस पार्टी की जि़म्मेदारी नहीं हैं?
एक इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी की कोई विशेष राजनीतिक विचारधारा नहीं है। वे केवल भ्रष्टाचार हटाने पर काम करेंगे और लोगों के मत को ज़्यादा से ज़्यादा सरकारी निर्णयों और नीतियां बनाने में करेंगे। पर यहां वे किन लोगों की बात कर रहे हैं? क्या भ्रष्टाचार इस देश की एकमात्र समस्या है ? क्या अल्पसंख्यक लोगों और महिलाओं के हक सुरक्षित रखना किसी और की जि़म्मेदारी है?
आखिर कौन है यह आम आदमी?
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