जिला वाराणसी, ब्लाक, गावं रसूलगढ़ राजभर बस्ती। इ बस्ती में लगभग पचास घर हव। लेकिन अभहीं तक एक भी आवास नाहीं मिलल हव। इहां कोई मड़ई लगा के रहत हव त कोई कच्चा घर में आपन गुजारा करत हव।
इहां के शर्मिला देवी, लक्ष्मन, आरती, रानी इ सब लोगन के कहब हव कि हमने एतना दिन से रहल जाला लेकिन हमने के अभहीं तक आवास नाहीं मिलल हव। जउन पहिले के पुराना कच्चा घर हव ओहि में रहल जाला उहो गिरत भहरात हव। पानी बरसला त पूरा पानी घर के अन्दर भर जाला। गर्मी आवर जाड़ा के दिन त कइसो कइसो करके बीत जाला लेकिन बरसात के दिन में हमने के बड़ी मारन होला। हमने के अपने छुपे के जगह नाहीं मिलत त हमने आपन सामान कहाँ छुपाईब। हमने कमाईला त मुश्किल से हमार पेट चलला। हमने घर कहाँ से बनवाइब। जब हमने प्रधान से कहल जाई कि एकाक ठे आवास देदा त प्रधान खाली टाल मटोल करल करलन। हमने के त ब्लाक तक पहुंच नाहीं हव कि हमने ब्लाक पर जाके जायल जाय।
प्रधान अमरनाथ के कहब हव कि बी. पी. एल. सूची में एन लोग के नाम नाहीं। आठ लोग के नाम 2002 के बी. पी. एल. सूची में रहल त ओेन लोग के आवास दे देहले हई।
ब्लाक के आई. आर. डी. बृजेश सिंह के कहब हव कि बी. पी. एल. के पात्रता सूची में जेकर नाम हव ओही के आवास मिली। बाकि लोग खातिर के लोहिया आवास के व्यवस्था हव।
आखिर केतना दिन तक लगावल जाई आस
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