बांदा जिला मा या समय धरना प्रदर्शन के भरमार है। का धरना प्रदर्शन के आवाज ही शासन-प्रशासन का सुनाई देत है? काहे नौबत ही आवत है धरना प्रदर्शन के? कउनौ भी मुद्दा के चिंगारी धरना प्रदर्शन के रूप मा काहे फूटत है। इनतान से बहुतै सवाल हैं जेहिके बारे मा शायद ही कउनौ उत्तर सरकार के पास होय।
बांदा जिला समेत पूरे उत्तर प्रदेश मा राज्य कर्मचारी संघ हड़ताल मा हैं। नरैनी क्षेत्र के सबै ए.एन.एम. नरैनी साुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक के खिलाफ दसन दिन से धरना मा हंै। तिन्दवारी कस्बा मा एक राजनीतिक पार्टी अउर प्रधान संघ राजकीय इण्टर कालेज का पूरा करैं खातिर धरना करिन। इं तौ बहुतै बड़े-बड़े धरना आय। छोट मोट धरना या भूख हड़ताल आय दिन होत रहत हैं। अगर राज्य कर्मचारी संघ धरना के जइसे बड़े धरना के बात कीन जाय तौ वहिसे आम जनता खातिर हरतान के मुश्किलै ठाड़ होत हैं। सोचै वाली बात या है कि अगर या जनता भी अब आपन नियाव अउर कामकाज ठप होय के खिलाफ धरना करैं लाग तौ का होई?
हमार संविधान मा स्वतंत्रता का अधिकार तौ सबका है। चाहे वा कउनौ भी स्वतंत्रता होय, पै या तौ कतौ नहीं लिखा कि स्वतंत्रता इनतान के भी है जेहिसे आम जनता के रोजमर्रा मा आवै वाली जरूरी सुविधा मा असर परै। फिर इनतान के धरना कइके जनता का सुखचैन काहे छीना जात है? इनतान के धरना के जिम्मेदार तौ सबसे पहिले शासन प्रशासन अउर सरकार हैैैैै। शिकाइत करैं माअगर मड़इन के सुनवाई तुरतै होय लागैं तौ धरना प्रदर्शन के नौमत काहे का आवै।
आखिर काहे का दें परत धरना
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