जिला वाराणसी। सरकार के तरफ से एक नियम निकलल हव। जेमे स्कूल में मोबाइल से फोन करके पता करल जाला कि आज स्कूल में का बनत हव। केतना बच्चन आएल हयन। आउर केतना लोग खातिर खाना बनत हव। अगर एतना चीज खातिर के फोन आवला त इ भी त मालूम होवे के चाही कि स्कूल में केतना राषन हव। आउर उ कब तक चली।
सरकार के एतना नजर रखले के बाद भी कई अइसन स्कूल हव महीनों से खाना नाहीं बनत हव। कहीं बनत हव त उ खाए लायक के नाहीं बनत हव। कहीं राषन खत्म हो गएल हव। त कहीं राषन खातिर के महीनों से पइसा नाहीं आएल हव। कहीं बनावे वालीन के पइसा नाहीं मिलत हव। आखिर यही हाल रही तज कइसे मिली स्कूल के बच्चन के खाना आउर का खइयन स्कूल में बच्चन। काषी विद्यापीठ के लोहता के हरपालपुर के प्राथमिक स्कूल के रायान खतम होवे वाला हव। एसे भी बुरा हाल हव जगदीषपुर के स्कूल के इहां करीब पिछले तीन महीना से खाना नाहीं बनत हव। आखिर कइसे निगरानी रखात हव कि सरकार के पता भी नाहीं चल पावत हव कि कउन स्कूल में का दिक्कत हव। आखिर का होत हव स्कूल में? सरकार के तरफ से पइसा नाहीं आवत हव। या त फिर पइसा कहीं बीच में रह जात हव। इ सब के धियान कइसे रखाई?
आखिर कइसे होत हव निगरानी?
पिछला लेख