इस साल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) अपने यहां लड़कियों के लिए 779 सीटें आरक्षित रखी हैं। घटते लैंगिंक अनुपात को बराबरी पर लाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
इस बार आईआईटी के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) एडवांस्ड का आयोजन 20 मई को किया जाएगा। कुल 779 सीटों में से सबसे अधिक सीटें (113) आईआईटी खड़गपुर में हैं।
जबकि आईआईटी धनबाद में 95 सीटें, आईआईटी कानुपर में 79 सीटें, आईआईटी बीएचयू में 76 सीट, आईआईटी रूड़की में 68 सीट, आईआईटी दिल्ली में 59 सीट, आईआईटी मुंबई में 58 सीट, आईआईटी मद्रास में 31, आईआईटी पटना में 25, आईआईटी इंदौर में 15 और आईआईटी गुवाहाटी में 57 सीटें हैं।
एक आंकड़े के अनुसार, 2013 में कुल 9718 नामांकन हुए, जिसमें लड़कियों की संख्या 908 थी जो कि कुल नामांकन का सिर्फ 9.3% था। 2014 में कुल 9732 नामांकन हुए, जिसमें लड़कियों की संख्या 861 थी जो कि कुल नामांकन का सिर्फ 8.8% था।
2015 में कुल 9974 नामांकन हुए, जिसमें लड़कियों की संख्या 900 थी जो कि कुल नामांकन का सिर्फ 9.02% था। 2016 में कुल 10500 नामांकन हुए, जिसमें लड़कियों की संख्या 848 थी जो कि कुल नामांकन का सिर्फ 8.07% था।
2017 में कुल 10987 नामांकन हुए, जिसमें लड़कियों की संख्या 1006 थी जो कि कुल नामांकन का सिर्फ 9.1% था।
आईआईटी में पिछले पांच सालों में लड़कियों की संख्या में उतार–चढ़ाव आता रहा है। हालांकि यह हमेशा ही 8 से 10 प्रतिशत के बीच ही रहा। आईआईटी परिषद की 28 अप्रैल 2017 को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था। परिषद ने 2018 में 14 प्रतिशत, 2019 में 19 प्रतिशत और 2020 में 20 प्रतिशत लड़िकयों के रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा है।
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