जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, गांव गिदुरहा|समाज मा पढ़ लिख के संजो आपन पहिचान बनाइस हवै|संजो महिला शिक्षा केंद्र मा छह महीना पढ़े के बाद आपन जिन्दगी मा आगे बढ़त चली गें अउर गांव मा दस साल तक प्रधान पद मा काम करिस हवै|
संजो का कहब हवै कि मैं पाठा कोल विकास समिति मा दुई साल काम कीने हौं वहिके बाद बीस साल तक गोपाल जी के संस्था मा काम कीने हौं| पहिले मैं साईकिल चला के काम करे जात रहि हौं|ईमानदारी के कारन संस्था कइत से मोहिका मोटरसाईकिल मिली हवै|पढ़ाई का ज्ञान होय के कारन समाज के बात पता चली हवै|
यहै कारन बच्चन का शिक्षा जरुर दे का चाही समाज मोरे पढ़ाई का मजाक बनावत रहै|पै मैं कउनौ का सहारा नहीं लिए आहूँ|अउर अपना काम डट के कीने हौं|दस साल के प्रधान के पद मा वृद्धा, विधवा, विकलांग पेंशन बनवाये हौं लगभग डेढ़ सौ कलोनी बनवाये हौ|रास्ता नाली अउर तालाब, खोदावे का काम भी करायें हौ| जबै मैं काम करब शुरू कीने हौं तबै से मनसवा वाले कपड़ा पहिनत हौं| काहे से यहिका पहिने से मोहिका बहुतै सुविधा होत हवै|
बाईलाइन-सुनीता देवी
17/09/2017 को प्रकाशित