जिला बाराबंकी, ब्लॉक हैदरगढ़। वैसे तौ बर्तन बनावै कै काम कुम्हार जाति कै मनई ही कराथिन लकिन आज हम आपका कुछ मुस्लिम मेहरारू से मिलवावत हई जेकै परिवार पीढ़ियों से ही मिट्टी कै बर्तन बनावै कै काम कराथिन।
रेशमा अउर रहनुमा बर्तन बनावै वाली कै कहब बाय कि बहुत मेहनत कै काम बाय मिट्टी कै बर्तन बनावै मा। पहिले मिट्टी निकारा जाथै फिर वका भिगाय के फोरा जाथै मिट्टी का अच्छे से बनाय के लसम करै का पराथै जेसे बर्तन अच्छे से बनाथै। जेहमा काफी मेहनत लागाथै पैर दर्द करै लागाथै। हर तरह कै मिट्टी के बर्तन बनाई थी। बनावै के बाद तीन दिन तक आगि मा पकावा जाथै। मेहनत के हिसाब से पैसा तौ नाय निकल पावत लकिन अगर मेला लागाथै तौ वहीँ हजार दुई हजार कै बिक्री होय जाथै।
सबीना मिट्टी कै बर्तन बनावै वाली बताइन कि पहले मिट्टी के बर्तन मा खाय से बनइन का स्वाद मिलत रहा लकिन अब नए उमर के मनइन कै नई बात ऐसे कम पसंद कराथिन सोचाथिन मिट्टी आय फूट जाये। तांबा जस्ता यूज कराथे लकिन जेतना स्वाद येहमा बाय वतना तांबा जस्ता अउर पीतल मा नाय बाय। हियाँ मनई शादी कै बर्तन पहिले से बुकिंग कइके ख़रीदे आवाथिन। शादी कै बर्तन अलग से अउर दहेज़ कै बर्तन अलग से। केहू के सात घड़ा लागाथै केहू के आठ लागाथै। हमरे मुस्लिम समुदाय मा नौ घड़ा लागाथै अउर कलश अलग से लागाथै। गेद्हरन के खेलै कै हर सामान तोता, भालू, मछली शेर बनावा जाथै।
बाईलाइन-नसरीन
10/10/2017 को प्रकाशित