जिला चित्रकूट, ब्लाक मानिकपुर, गांव अगरहुंणा मा वइसे भी सरकारी सुविधा बहुतै कम मिलत हवै। आंगनवाडी होय के बाद भी हिंया के मड़इन का पोषाहार अउर पंजीरी कुछौ नहीं मिलत आय।
एगसिया बताइस कि आंगनवाडी कबै खुलत हवै कबै बंद होई जात है कुछौ पता नहीं चलत आय न हमे पंजीरी नहीं मिलत आय। रमेश प्रसाद का कहब हवै कि हमार घर मा एक छोट बच्चा हवै पै कत्तो पोषाहार अउर पंजीरी नहीं मिलत आय जबै मोर मेहरिया गर्भवती रहै तौ नौ महीना मा एक दरकी पंजीरी मिली हवै। तबै से कुछौ नहीं मिला आय।
चुन्नी देवी अउर संतोष बताइस कि आंगनबाड़ी जनगणना करै बस आवत हवै पै कत्तो पंजीरी नहीं मिलत आय। पंजीरी गांव मा बेच देत हवै। आंगनवाड़ी माया देवी का कहब हवै कि हमार छोट आंगनवाड़ी आय 5 सौ के आबादी मा 7–8 धात्री हवै। मैं घर घर जा के पोषाहार नही बांट सकत आंहूं। बच्चन का लेवावै जाये तौ दूसर बच्चा भाग जात हवै। दुई महीना से पोषाहार का बजट नहीं आवा आय।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सीमांत श्रीवास्तव का कहब हवै कि आंगनवाड़ी के जांच कराई जई गर्भवती मेहरिया अउर बच्चन का पोषाहार आंगनवाड़ी मा मिलत हवै।
रिपोर्टर- नाजनी रिजवी
06/06/2017 को प्रकाशित