महिलाओं और उनके बच्चों के पोषण से जुड़ी सरकारी सुविधाओं की देखरेख के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन दिए जाएंगे। केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए सॉफ्टवेयर, कॉमन अप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (सीएएस) को इसमें अपलोड करके आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दिया जाएगा। कुपोषण की ज्यादा दर वाले 40 जिलों के कार्यकर्ताओं को देने के लिए तकरीबन 54 हजार स्मार्टफोन खरीदे जा चुके हैं। जल्द ही इन्हें वितरित कर दिया जाएगा।
राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) और नीति आयोग ने सर्वे करके देश में 100 कुपोषित जिले छांटे थे। इनमें 29 यूपी के हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जैसे ही बच्चे का भार मापेगी उसका वजन सीएएस पोर्टल पर अपलोड करेगी। इसे उसी समय राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर देखा जा सकता है।
पहले, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एक रजिस्टर में मां और बच्चों के भार, पोषण, टीके और अन्य जानकारियां एक रजिस्टर पर लिखती थीं। यह भी शिकायत आती थी कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सेंटरों पर नहीं जा रही हैं। आंकड़ों का राज्य स्तर तक पहुंचने में समय लगता था। अब स्मार्टफोन के जरिए पूरी जानकारी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तुरंत पहुंच जाएगी।
बता दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, एक साल तक के बच्चों की मौत के मामले में यूपी सबसे आगे है। यहाँ प्रति हजार लोगों पर 0.63 सरकारी और निजी डॉक्टर हैं और राज्य में प्रति एक हजार लोगों के लिए केवल अस्पताल में 1.5 बेड हैं।
उत्तर प्रदेश में 35.7 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं और 0 से 5 साल तक की आयु वर्ग के 46.3 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं।