असम। यहां 1 मई की रात से 3 मई तक राज्य के बकसा और कोकराझार जिलों में कुछ लोगों ने गांव में रह रहे मुसलमानों के घरों पर गोलियां चलाईं। अलग-अलग गांवों में इस हिंसा में अब तक बत्तीस लोगों के मरने की खबर है। हालांकि कुछ साबित नहीं हुआ है पर माना जा रहा है कि इसके पीछे असम के बोडोलैंड डेमोक्रैटिक फ्रंट (एन.डी.एफ.बी.) का हाथ है। कारण है कि एन.डी.एफ.बी. को शक था कि मुसलमानों ने चुनाव में उनको वोट दिया।
अब तक पुलिस बाइस लोगों को हिरासत में ले चुकी है। साथ ही आठ वन विभाग के गार्ड भी हिरासत में हैं क्योंकि पुलिस को शक है उन्होंने हिंसा को रोकने की कोशिश नहीं की। दोनों ही जिलों में कई मुसलमान डर के कारण अपने घरों को छोड़कर भाग गए। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एन.आई.ए.) को सौंप दी।
4 मई को एन.डी.एफ.बी. ने कहा कि इस घटना में उनका हाथ नहीं है और यह राज्य सरकार का बोडो और मुसलमान समुदायों के बीच तनाव पैदा करने का षड्यंत्र है।
असम के इस हिस्से में ऐसी हिंसा 2012 में भी हुई थी जब बोडो और मुसलमानों में दंगे हुए थे। बोडो असम के रहने वाले लोग हैं। ज़्यादातर जो मुसलमान असम में रहते हैं वे सालों पहले असम से लगे बांग्लादेश से आए थे। पर आज भी बोडो समुदाय के कुछ लोग उन्हें राज्य से बाहर करने में विश्वास रखते हैं। इसका फायदा राजनैतिक फायदों के लिए भी उठाया जाता है।