असम के गोलाघाट जिले में गुटुंग गांव में महिलाओं के एक समूह ने माओं की समिति के नाम से एक संगठन बनाया है जो गांव के प्राइमरी स्कूलों की गतिविधियों के ऊपर ध्यान देता है। इस समिति की वजह से गाँव के स्कूलों का प्रदर्शन बेहतर हुआ है और बच्चे शिक्षा में अधिक रूचि लेने लगे हैं।
यह संगठन स्कूल में बच्चे के नियमित न आने, अधिक छुट्टी लेने और उसकी पढ़ाई के सम्बंध में लगातार स्कूल का साथ देता है। कक्षा का कोई भी छात्र जब स्कूल नहीं आता तब माओं की समिति की महिलाएं उस बच्चे के घर जा कर, उसके स्कूल न आने के कारण का पता लगाती हैं।
यदि कारण सामान्य या अनिवार्य नहीं होता तब बच्चे और उसके माता-पिता को ऐसा करने का कारण पूछती हैं साथ ही आगे के लिए सावधान भी कर देती हैं।
यही नहीं, यह समिति स्कूल आने वाली अध्यापकों के भी काफी करीब रहती हैं। उनकी समस्याओं को सुनती हैं और स्कूल में वह नियमित रहें इस पर जोर देती हैं।
दरअसल, यह समिति वर्ष 2009 में, आइडे एट एक्शन दक्षिण एशियन ने उत्तर-पूर्व प्रभावित क्षेत्र विकास सोसाइटी (एनएएडीएस) के साथ मिल कर असम’ में ‘म्यूशिंग समुदाय के बच्चों के लिए गुणवत्ता शिक्षा’ के कार्यक्रम की शुरू की थी। यह गांव 20 गांवों में से एक है जहां परियोजना चालू की गयी थी। इसी परियोजना के तहत प्राथमिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की मां के साथ माओं की समिति बनाई गई है।
समिति का उद्देश्य दैनिक आधार पर स्कूल के संचालन की निगरानी करना है।