बांदा। मौसम से बर्बाद फसल के बाद अब किसानों को चिंता है, बीज की। हालांकि अब आने वाले महीनों में धान, ज्वार, मूंग यानी खरीफ की फसलों के बीच खेतों में डाले जाने हैं, मगर अभी से किसानों को रबी यानी चना, अलसी, मसूर, अरहर की फसल के लिए बीच की चिंता हो रही है। क्योंकि इस बार फसलें बर्बाद हो गईं हैं। जो बची हैं उनकी गुणवत्ता इतनी खराब है कि उन्हें बीज के लिए रखा नहीं जा सकता। यह चिंता छोटे किसानों के लिए बड़ी है। क्योंकि यह लोग अपने ही अनाज से बीज भी तैयार करते हैं।
ब्लाक तिन्दवारी ,गांव मिरगहनी। यहां के किसान कल्लू अनिल और महेश का कहना है कि इस बार रबी की फसल से चना, अलसी, मसूर और अरहर का एक दाना घर नहीं आया। बीज कैसे बचाएंगे?
ब्लाक कमासिन, गांव अडौली। यहां के किसान रंजीत सिंह राजेश और अनुरूप ने बताया कि बीज बगैर कैसे खेती हो पाएगी? हम तो छोटे किसान हैं। हम मंडी या सोसायटी से तो बीज लेते नहीं। अपने ही अनाज से बीज बचाते हैं। पेट भरने से ज़्यादा अब बीज की चिंता है।
अगर यह सोचे भी कि इस बार किसान मंडी या सोसाइटी में बीज लेंगे तो वहां भी सभी किसानों को देने लायक बीज कहां से आएगा? आखिर वह लोग भी तो किसानों से ही फसल लेकर बीज बनाते हैं। बीज के लिए इस बार वहां भी मारामारी होगी। बीज का दाम भी महंगा हो सकता है।
जिला कृषि अधिकारी बाल गोविन्द यादव का कहना है कि खरीफ की फसल के बीज का वितरण शुरू हो गया है। यह 20 मई तक किया जाएगा। इस बीज के लिए लगभग चार हज़ार किसानों ने अब तक रजिस्ट्रेशन करवाया है। बिना रजिस्ट्रेशन भी किसानों के आने की उम्मीद है, मगर उनको भी बीज मिलेगा। इसके बाद इसी तरह से रबी की फसल का बीज भी दिया जाएगा।