महिलाओं के पासपोर्ट बनाने को लेकर अंतर मंत्रालयी समिति ने सिफारिश की है कि विदेश मंत्रालय को आवेदनकर्ता के पिता, माता या पति का नाम छापने के नियम को हटाया जाए। विदेश मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, पिता, माता या पति का नाम ना छापने की पद्धति वैश्विक स्तर पर मान्य है इसलिए मंत्रालय को इन सभी जानकारियों को देने से बचना चाहिए। जयादातर देशों, विशेष रूप से विकसित देशों में पासपोर्ट बुकलेट पर छापने के लिए पिता, माता, पति/पत्नी और पेज नंबर 35 की जरुरी जानकारियों को नहीं मांगा जाता।
समिति मेंमहिला एवं बाल विकास, विदेश मंत्रालय और केंद्रीय पासपोर्ट संगठन के अधिकारी शामिल हैं। इसे तीन महीने पहले पासपोर्ट एक्ट 1967 और पासपोर्ट रूल्स 1980 की समीक्षा के लिए गठित किया गया था।
गौरतलब है कि महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को खत लिखकर एक सिंगल पैरेंट प्रियंका गुप्ता के मामले का जिक्र किया था। प्रियंका को पासपोर्ट अधिकारियों ने उनकी बेटी का पासपोर्ट जारी करने से इसलिए मना कर दिया था क्योंकि वे पिता का नाम जानना चाहते थे। पिता ने बेटी के जन्म के बाद उसे छोड़ दिया था और पासपोर्ट में इसलिए पिता का नाम शामिल करने का कोई मतलब था नहीं पर मेनका ने बताया कि पासपोर्ट गाइडलाइंस में अब भी पिता का नाम देना जरूरी होता है। जबकि दिल्ली हाईकोर्ट जुलाई में येकह चुका है कि पिता का नाम देना जरूरी नहीं है।