लखनऊ। चीनी मिल मालिकों और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच बढ़ रही तनातनी का असर गन्ना किसानों पर पड़ रहा है। प्रदेश की ज़्यादातर निजी चीनी मिलों ने अभी तक पेराई शुरू नहीं की है। जबकि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में पेराई शुरू हो जानी चाहिए। ऐसे में किसान अपना गन्ना कम कीमत में गुड़ बनाने वाले कोल्हू और खांडसारी उद्योग को बेचने को मजबूर हैं।
खांडसारी यानी सामान्य चीनी से बारीक चीनी, जिसे बूरा शक्कर भी कह सकते हैं। थोक मिठाईयों में इसी का उपयोग होता है। गुड़ और खंडसारी बनाने वाले कोल्हू किसानों से डेढ़ सौ रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से गन्ना खरीद रहे हैं। जबकि पिछली बार चीनी मिलोें ने दो सौ अस्सी
रुपए प्रति कुंटल के हिसाब से गन्ना खरीदा था। किसानों का कहना है कि अगर वह सरकार और मिलों के बीच विवाद खत्म होने का इंतज़ार करेंगे तो गन्ना तो सूखकर बर्बाद होगा ही साथ ही गेहूं का मौसम भी खत्म हो जाएगा। उधर चीनी मिलों की मांग है कि सरकार उन्हें करों से छूट दे। मिल मालिकों की मांग यह भी है कि चीनी के बाज़ार भाव के हिसाब से गन्ने का दाम तय हो। चीनी के महंगे होने या सस्ते होने के हिसाब से गन्ना किसानों का भुगतान तय हो। उन पर जो गन्ना किसानों का बकाया है, उसमें ब्याज़ देने के लिए दबाव न डाले। दरअसल राज्य सरकार ने बचे हुए भुगतान को किसानों को ब्याज के साथ अदा करने का निर्देश मिलों के दिया था।
पचानबे निजी मिलों में से छाछट मिलें अभी तक बंद पड़ी हैं। पेराई शुरू होने से एक महीना पहले मिलों की साफ सफाई और मशीनों का मेंटेनेंस शुरू हो जाता है लेकिन अभी तक मिलों के दरवाजे बंद पड़े हैं। राज्य की पचहत्तर प्रतिशत चीनी इन्हीं मिलों में तैयार होती है।
अब तक नहीं शुरू हुई गन्ने की पेराई
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