मौसम के हिसाब से फलों का भी अपना महत्व है।
जिला चित्रकूट, ब्लाक रामनगर, गांव पराको के स्वाती पुरवा में सावित्री और अजय षकरकनद की खेती करते हैं। शकरकंद के पेड़ का बौड़ा जुलाई के महीने में ज़मीन में गाड़ दिया जाता है। यह शकरकंद बनकर पांच महीने में तैयार हो जाता है।
सावित्री और अजय यह काम दस साल से कर रहे हैं इसी काम को करके अपने परिवार वालों का पेट भरते हैं। इन्होंने बताया कि षकरकंद की खेती करने में इन्हें आनन्द आता है। शकरकंद बेचने के लिए राजापुर ले जाते हैं। कुछ मिठाई वाले भी खरीदते हैं। शकरकंद से कई पकवान और मिठाई भी बनते हैं। कुछ त्यौहारों में इसको अलग महत्व दिया जाता है।
अब खाएं शकरकंद
पिछला लेख