लखनऊ। यहां हमसफर नाम की संस्था लड़कियों को आटो चलाने का प्रशिक्षण दे रही है। यह प्रशिक्षण 8 जून से शुरू हुआ। इस संस्था का मानना है कि लड़कियों के लिए केवल सिलाई-कटाई या घर बैठने वाले काम ही नहीं हैं। लड़कियां वह सभी काम कर सकती हैं जिनसे उन्हें दूर रखा जाता है।
हमसफर की कोआर्डिनेटर ममता ने बताया कि यह महिला चालक औरतों को ही अपने आटो में बैठाएंगी। इससे महिला सवारियों को भी राहत मिलेगी। ममता ने बताया कि हमने जनवरी से ही आटो चलान का प्रशिक्षण देना शुरू किया है। पहले हमने लड़कियों को इस प्रशिक्षण के लिए तैयार किया। उनके सीखने वाले ड्राईविंग लाइसेंस बनवाए। जब यह लड़कियां सी जाएगी तो स्थायी लाइसेंस बनवाएंगे। सरकार की तरफ से इन्हें आटो भी दिलवाएंगे। अभी छह लड़कियां आटो सीख रही हैं।
यहां आटो सीख रही मीरा शर्मा ने बताया कि हम पांच भाई बहन हैं। मुझे बचपन से ही ड्राईविंग का शौक था। इसीलिए पिछले साल ही मैंने इसी संस्था से कार चलाना सीखा। दिल्ली जाकर चार महीने एक स्कूल बस भी चलाई। दरअसल लखनऊ में मुझे गाड़ी चलाने का कोई काम नहीं मिला। मगर मैं अब अपने ही शहर में रहकर ड्राईविंग करना चाहती हूं। इसलिए अब आटो चलाने का प्रशिक्षण ले रही हूं। शुरू में तो घर के लोगों ने विरोध किया लेकिन बाद में उन्हें लगा कि यह काम भी दूसरे कामों जैसा ही है।
ललिता गौतम ने बताया कि मेरी शादी छह साल पहले हुई थी। मगर पति मुझे मारता पीटता था। मैं कई सालों से मायके में ही रह रही हूं। दूसरों के घर बर्तन चैका करके अपना गुजारा कर रही थी। मगर अब यहां से आटो सीख रही हूं। प्रशिक्षण पाकर मैं अब यही काम करूंगी।