1 अप्रैल यानी दूसरों को बेवकूफ बनाने का दिन। कोई अजा़ेबो गरीब मज़ाक करके आप दूसरों को मूर्ख बना सकते हैं। अगर उसे गुस्सा आ जाए तो ‘अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया। गाना गाकर गुस्सा ठंडा कर सकते हैं। यह रिवाज़ भारत का नहीं बल्कि पश्चिमी दुनिया के कुछ देशों का है। लेकिन भारत में इसे खूब मजे़ मनाया जाता है।
क्या आपको पता है कि इस दिन की शुरुआत कब से हुई? नहीं मालूम, तो आपको बता दें कि इसके बारे में किसी को भी ठीक-ठीक नहीं पता। बस कुछ अंदाजा लगाया जाता है। जैसे ब्रिटिश लेखक चैसर की एक प्रसिद्ध किताब ‘द कैंटबरी टेल्स’ में इस दिन का सबसे पहले जिक्र हुआ था।
यह किताब 1392 में लिखी गई थी। किताब में बडे“ मज़ेदार ढंग से एक कहानी लिखी गई है। इसमें कैंटबरी एक कस्बे का नाम है। वहां का शासक अपनी प्रजा के साथ एक मजाक करता है। वह घोषणा करता है कि वह 32 मार्च को शादी करेगा। जनता बेचारी विश्वास कर लेती है। कई दिनों बाद उन्हें याद आता है कि मार्च में तो केवल 31 दिन ही होते हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि पश्चिमी देशों में सन 1564 से पहले एक अप्रैल से नए साल की शुरुआत होती थी। लेकिन बाद में इसे एक जनवरी कर दिया गया। कुछ लोग ऐसे भी थे जो एक अप्रैल को ही नए साल का पहला दिन मानते रहे। दूसरे लोग उन्हें एक अप्रैल के दिन मजाकिए उपहार देते थे। उनसे मज़ाक करते थे। जो भी हो पर यह दिन है मज़ेदार।