जिला बांदा। महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा मामले ज्यादातर तो दर्ज ही नहीं होते। अगर जो होते हैं उनमें कार्रवाई नहीं होती। लोग रिपोर्ट लिखवाकर धरने देते हैं, अनशन करते हैं। तब भी पुलिस केवल यही जवाब देती है कि दोशी की तलाश जारी है। लेकिन यह तलाश कभी खत्म नहीं होती।
ब्लाक कमासिन, थाना कमासिन। यहां के एक गांव की दलित औरत परिवार समेत 5 मई से अनशन पर बैठी है। पर पुलिस ने अब तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। औरत ने बताया कि 26 अगस्त 2014 को गांव का ज्ञान सिंह ठाकुर रात के बारह बजे हथियार लेकर घर में घुसा। लड़की के साथ दबाव बनाकर बलात्कार किया और पूरे घर के साथ मारपीट की। शोर सुनकर जब पूरे मोहल्ले के लोग आए तब वह भागा। मगर जाते जाते कह गया कि अगर थाने गए तो जान से मार दूंगा। 27 अगस्त 2014 को कमासिन थाना में रिपोर्ट लिखवाई है। दस महीना बीत जाने के बाद भी पुलिस ज्ञान ठाकुर को गिरफतार नहीं कर रही है। ज्ञान सिंह लगातार मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहा है और मारपीट कर रहा है। लड़की के साथ दुबारा से बलातत्कार करने की धमकी दे रहां है।
ब्लाक तिन्दवारी, थाना पैलानी के एक गांव के औरत आपनी लड़की के साथ में हुई छेडखानी में न्याय पाने के लिए 5 जून से अषोक लाट में अनषन में बैठी है। औरत ने बताया कि मेरी चौदह साल की लड़की के साथ गांव का लगभग 60 साल का सरफुल्ला 19 अप्रैल को अष्लील हरकत कर रहा था। घटना की रिपोर्ट पैलानी थाने में लिखवाने गये तो रिपोर्ट न लिख कर एन.सी.आर. लिखी गई है। यानी साधारण तौर पर शिकायत लिखी गई। एस.पी. और डी.आई.जी. को दरखास देने के बाद भी हमारी सुनवाई नहीं हो रही है।
दोनों मामलों को लेकर जब डी.आई.जी. ज्ञानेश्वर तिवारी से बात की गई तो उनको अनशन में बैठे लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्होने तुरन्त एस.पी. को फोन लगा कर ज्ञान सिंह ठाकुर और सरफुल्ला को गिरफतार करने का आदेष दिया है और कहा कि जल्दी दोनों को पकड कर जेल भेज भेजवा दिया जाएगा।
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