2016 के विश्व बैंक की एक पेपर रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रामीण स्कूल प्रति वर्ष 440 करोड़ रुपये की बचत कर सकते हैं। जो स्कूल में अध्यापकों की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकता है।
विश्व बैंक के अनुसार, केरल, गुजरात, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब, बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में निरक्षकों पर प्रति वर्ष 10 रुपये से अधिक की बचत कर सकते हैं।
कार्तिक मुरलीधरन (कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, (विश्व बैंक, वाशिंगटन, डीसी), आलका होल्ला (विश्व बैंक, वाशिंगटन, डीसी) और आकाश मोपल (मिशिगन विश्वविद्यालय, एन आर्बर)के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2003-2010 तक के आंकड़े बताते हैं कि 19 राज्यों के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण विद्यालयों में अनुपस्थित होने वाले शिक्षकों की वजह से 8,400 करोड़ रुपये से 7,200 करोड़ रुपये का नुकसान होता है जो क्रमशः 8% और 10% के बीच आँका जा सकता है।
सर्वे बताते हैं कि अधिक शिक्षक होने से कहीं बेहतर है कि निरक्षण करने वाले शिक्षक स्कूलों में हों, यह अधिक कुशल होते हैं। माना जाता है कि अधिक शिक्षकों को काम पर रखने से शिक्षक अनुपस्थिति की दर बढ़ जाती है, जिससे लागतें बढ़ जाती हैं।
अझीम प्रेमजी फाउंडेशन द्वारा 619 उद्देश्यपूर्ण रूप से चयनित सरकारी स्कूलों में 2,861 शिक्षकों के एक अध्ययन में बिना किसी ठोस और एक वैध कारण के बिना अनुपस्थिति शिक्षकों की संख्या 26% थी।
फोटो और लेख साभार: इंडियास्पेंड