चांदपुरा, महोबा। अनारकली कहती है कि वह एक भी पढ़ी लिखी नहीं है क्योंकि उसके मायके की स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी। फिर वह अपने ससुराल में पति, परिवार और गांव के सहयोग से दुबारा प्रधान बनी हैं। जिसमें 15 लोग इस बारी चुनाव में खडे़ थे। सबको हराते हु, वह 120 वोटो से जीती है। उनका चुनाव निशान अनाज उगाता हुआ किसान था। वह प्रधान बनने के बाद भी खुद खेती किसानी का काम करती है।
2016 से उम्मीदः मैं गांव में पानी समस्या दूर करने के लिये टंकी बनवाऊंगी , और लड़कियों के लिये हाई स्कूल और इ.टर कालेज की मांग करूंगी। मैं नहीं पढ़ी तो मेरी उमर तो जैसे भी कट रही है पर बच्चोँ का भविष्य अंधेरे में नहीं रखना चाहती हैं। गाँव के लोग लड़कियों को पढ़ने के लिए महोबा नहीं भेजते हैं। खुद की साइकिल से जाने पर एक्सीडेन्ट आटो और बस छेड़खनी के जैसे कारणो का लड़कियो को सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मैं सूखा से निपटने के लिये भी जिले में बैठे अधिकारी और सचिव के सहयोग से काम करवाऊँगी। साफ सफाई, सी-सी- रोड और मनरेगा में ज्यादा से ज्यादा काम करवाऊँगी।