बुन्देलखड मा ओला अउर बरसात से भे फसल बरबादी से किसानन भुखमरी के कगार मा आ गे हैं। किसानन का मिलै वाला मुआवजा से भी उनका कउनौ राहत निहाय। जउन गिने चुने किसाान का मुआवजा मिला भी है वा घाव मा नमक छिडकै के बराबर है। सदमा से किसाान के मउत थमै का नाम नहीं लेत है। रोज का दुई तीन किसान के मरै के खबर अखबारन मा छपत है जउन मीडिया तक नहीं पहंुचत आय उनकर तौ गिनती ही निहाय, पै सरकार के बयाबाजी तौ उनका अउर हतास कई देत है। उत्तर प्रदेष कें मुख्यमंत्री भी किसाान के मउत का लइके कहिन कि बुन्देलखण्ड के किसान दिल अउर दिमाग से सम्पन्न हैं तौ उनका आत्महत्या न करै का चाही। केद्रीय मंत्री कहिन की किसानन का कर्ज माफ न होई। एक कइत तौ किसान फसल बरबादी से तबाह है तौ दूसर कइत सरकार के बयान बाजी उनका अउर सदमा मा डाल दिहिस है। चलौ रही बात की मुआवजा मा सरकार किसाान के घाव का नहीं भर पाई है। अब तौ वहिसे भी बड़ी समस्या बीज के आ गे है। उंई आगे के फसल का कसत तैयार करिहैं। उनके पास तौ नीक अनाज बचा ही निहाय तौ कहां से फसल का बो पइहै। जेठ के बाद से ही अरहर,जोढरी,मूग,उडद अउर तिल जइसे के फसल का बोयै के तैयारी किसान करै लागत हैं, पै बिना बीज के उनका आवै वाले साल के भी चिन्ता सतावै लाग है। अब देखै का या है कि सरकार का नीक बीज के व्यवस्था कई पाई?
अनाज अउर चारा के बाद अब बीज का संकट
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काहे नाय मिलत बिजली जमा बिल कै रसीद
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