केन्द्र की राजकोषीय स्वायत्तता और उच्च कर का राजस्व देने के बावजूद भी 20 राज्यों में से 14 राज्य ने अपनी पूरक पोषण कार्यक्रम में कटौती की है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यय डाटा के अनुसार बच्चों की असल और आदर्श आहार संबंधी आवश्यकताओं के बीच बड़ा अंतर है।
राष्ट्रीय बाल समर्थन प्रणाली में पूरक पोषण कार्यक्रम एक बहुत ही महत्तपूर्ण योजना है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार एकीकृत बाल विकास सेवाएं 35.6 प्रतिशत शहरी क्षेत्र और 53 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में प्रयोग हो रही हैं, वहीं 55 प्रतिशत गरीब और 61 प्रतिशत कम आय वाले लोग इस योजना पर निर्भर हैं।
हालांकि 14 राज्य सरकारों ने पूरक पोषण कार्यक्रम में से 3 प्रतिशत से लेकर 55 प्रतिशत तक की कटौती 2016 से 2017 के बीच की है। इनमें जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, असम, बिहार, झारखंड, त्रिपुरा, ओडिशा, केरला, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और नागालैंड जैसे कटौती करने वाले राज्य हैं। वहीं हरियाण, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल, सिक्किम ओर कर्नाटक जैसे राज्यों ने इस योजना में 3 से 22 प्रतिशत की वृद्धि की है।
भारत में बाल स्वास्थ्य योजनाओं पर व्यय केन्द्र में रहता है, इसके बावजूद भी हम गरीब देशों से पीछे हैं। भारतीय बच्चों का स्वास्थ्य अनुपात अपनी उम्र के हिसाब से 38 प्रतिशत से 28 प्रतिशत कम हैं, वहीं कम वजन 43 प्रतिशत से 36 प्रतिशत तक है, जबकि 20 से 21 प्रतिशत तक का वजन तेजी से गिर रहा है। ये बात राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 4 के आंकड़ो से सामने आई है।
साभार: इंडियास्पेंड