बांदा जिला के कइयौ इलाका या समय बाढ़ से घिरे हैं। पहली दरकी इनतान देखा गा है कि प्रशासन जनता के मन लगा के मदद करिस है।
बांदा जिला होइके बहैं वाली केन, यमुना अउर बागैं जइसे बड़ी-बड़ी नदिया लगभग एक हफ्ता बाढ़ मा रहिके तबाही मचा दिहिन है। बाढ़ का असर सबै जघा रहा, पै चिल्ला क्षेत्र मा कुछ ज्यादा ही तबाही रहै। चिल्ला, बेदाघाट अउर बांदा जिला से लाग फतेहपुर जिला का ललौली क्षेत्र पूरीतान बाढ़ से घिरा रहै। बाढ़ से निपटै के खातिर जिला का प्रशासन कमर कस के जनता के मदद करै मा जुट गे है। बाढ़ मा फंसे लोगन का निकारैं खातिर चार नाव लगाई गईं रहैं। खाना पीना के भी व्यवस्था रहै। पुलिस जवान, अस्पताल के डाक्टर, पंचायती राज विभाग अउर डी.एम. एस.डी.एम. सहित सबै करमचारी मौजूद मिले। बस सवाल या उठत है कि यतनी भयानक बाढ़ आवैं से पहिले, का प्रशासन का कउनौ सूचना नहीं रहै। काहे से बाढ़ बारिश होय से नहीं, बांध का पानी छोडै़ से आई रहै। बांध का पानी अगर छोड़ा जात है तौ जिला के प्रशासन का पहिले से पता होत है, तौ समय से जनता का सूचित काहे नहीं करिस आय?
दूसर बात या भी है कि बाढ़ क्षेत्र मा आवैं वाले गांवन का नदी किनारे से दूर बसा दीन जाय। अगर हम बात करी केन नदी के तौ या नदी के किनारे लगभग एक सैकड़ा गांव आवत है। हेंया के प्रधान प्रशासन से गांव का ऊंचे मा बसावैं के मांग करिन। प्रशासन आज तक ध्यान नही दिहिस। यहै मारै इं गांवन का हर साल बाढ़ के मार झेलैं का परत है। इं गांव 1978, 1992, 2005, 2008 अउर अब 2013 मा बाढ़ के मार झेलत हैं।
अधिकारी करिन जनता के मदद
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