2018 के एक अध्ययन के अनुसार, अधिकांश भारतीय अपने जाति या धर्म से राजनीतिक नेताओं को पसंद करते हैं, इससे पता चलता है कि राज्य के चुनावों और आम चुनावों में नेताओं की पहचान कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आठ राज्यों-आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना – में 55 फीसदी भारतीय अपनी जाति और धर्म से राजनीतिक नेता को पसंद करते हैं, जैसा कि ‘अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय’ (एपीयू) और ‘लोकनीति’ (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) द्वारा 22 विधानसभा क्षेत्रों में 16,680 उत्तरदाताओं के साथ किए गए एक अध्ययन, ‘पालिटिक्स एंड सोसाइटी बिटविन एलेक्शन 2018’ में बताया गया है।
10 फीसदी से अधिक लोग एक अलग जाति से राजनीतिक नेता का चयन नहीं करते और 9 फीसदी से अधिक लोग अलग धर्म के लोगों का चयन नहीं करते हैं।
सर्वेक्षण में से एक तिहाई से अधिक ने कहा कि उन्हें जाति (35 फीसदी) या उनके राजनीतिक नेता के धर्म (37 फीसदी) से कोई फर्क नहीं पड़ता है।
इंडियास्पेंड द्वारा अध्ययन के विश्लेषण पर पाया गया है, “सभी वर्गों में समुदाय और जाति-वर्ग के बाहर से नेताओं पर भरोसा नहीं है। ऊपरी जातियां आम तौर पर अपने समुदाय से बाहर के नेताओं में सबसे कम विश्वास करती हैं।”
अध्ययन के अनुसार, सामाजिक समूहों में, राजनीतिक उम्मीदवार की जाति और धार्मिक पहचान को लोकर भरोसे का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। गैर-साक्षर 63 फीसदी,स्कूल स्तर तक शिक्षित लोगों में 56 फीसदी और कॉलेज तक शिक्षित व्यक्तियों में 47 फीसदी।
अध्ययन के मुताबिक जबकि ऊपरी जातियों ने आम तौर पर “अपने आप से बाहर के नेताओं में सबसे कम विश्वास” व्यक्त किया, यह स्कूली शिक्षा 56 फीसदी और कॉलेज स्तर की शिक्षा 46 फीसदी के साथ तुलना में गैर-साक्षर 68 फीसदी, लोगों के बीच अधिक था।
साभार: इंडियास्पेंड