अच्छे दिनों की आस लगाए जनता को महंगाई निराश कर रही है। आलू महंगा, प्याज महंगा, पेट्रोल-डीजल महंगा, रेल किराया महंगा। करीब डेढ़ महीने पहले चुनकर आई भारतीय जनता पार्टी सरकार ने लोगों से अच्छे दिन लाने का वादा किया था। लेकिन बढ़ती महंगाई इस वादे को झूठा साबित कर रही है। सरकारी बयान आ रहे हैं कि प्याज- आलू के दाम बढ़ने का कारण कमजोर मानसून है, जबकि तेल कीमतों की बढ़ोतरी का कारण है तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश इराक में जारी हिंसा है। अगर इन तर्कों को मान भी लिया जाए तो रेल किराए बढ़ने का क्या कारण है? इस पर भी जवाब दिया जा रहा है कि रेलवे को घाटे से उबारने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
अभी तो एक और बड़ी चुनौती खड़ी है कमजोर बारिश होने पर फसलों के बर्बाद होने की। किसानों पर सूखे की मार पड़ना लगभग तय है। सरकार में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद लोगों को ढाढस बंधा रहे हैं कि डरने की जरूरत नहीं है। इस महंगाई से निपट लेंगे। इन्होंने प्याज और आलू की जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए इन्हें एक कानून के दायरे में ला दिया है। सरकार को उम्मीद है इससे कम से कम इन दोनों सब्जिय¨ं के दामों में तो लगाम लगेगी ही। पूरे मामले में विशेषज्ञों का एक पक्ष मान रहा है कि दामों में बढ़ोतरी के जरिए देश के खजाने को संतुलित करना जरूरी है। पर दूसरा पक्ष इसे आम जनता के हितों की अनदेखी मान रहा है। पक्ष और विपक्ष की बहस के बीच एक बात तो साफ है कि बढ़ती महंगाई और खाली होती जेबें कहीं न कहीं नई सरकार के खिलाफ लोगों में गुस्सा भर रही हैं।
अच्छे दिन नहीं, महंगाई लाई नई सरका
पिछला लेख