महंगाई से बेहाल जनता अपने मन की बात किसे सुनाए। प्रधानमंत्री अपने मन की बात सुनाते तो हैं। मगर सुनते नहीं। पहले प्याज़ फिर दाल अब टमाटर महंगा होकर खुलेआम बिक रहा है। पेट्रोल और डीज़ल के दाम भी बढ़ गए हैं। अब गैस सब्सिडी भी प्रति वर्ष दस लाख से ज़्यादा वेतन पाने वालों से छिन जाएगी। और उस पर व्यावसायिक गतिविधियों पर नज़र रखनेवाली संस्था एसोचैम ने कहा है कि अभी और महंगाई बढ़ेगी। दाल के बाद चावल भी गरीबों की थाली से कम हो जाएगा। इसका कारण फसलों पर पड़ी प्राकृतिक आपदा की मार है। इन सबसे जूझ रही आम जनता के लिए एक और महंगी खबर है। अब स्वच्छता अभियान भी जनता की जेबें ढीली करेगा। केंद्र सरकार के सबसे चर्चित रहे इस अभियान को चलाने के लिए जनता से सेवाकर वासूला जाएगा। अभी तक होटल, पर्यटन, मोबाइल जैसी सेवाओं पर चैदह प्रतिशत कर लगता था अब यह कर बढ़ाकर साढ़े चैदह प्रतिशत कर दिया गया है। हालांकि एक साल पूरे कर चुके इस अभियान के तहत सफाई कितनी हुई है यह तो सबके सामने है। मगर कर आपको चुकाना पड़ेगा। कुल मिलाकर जनता के अच्छे दिन नहीं बल्कि महंगे दिन आ गए हैं। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पींगे बढ़ाकर आकाश छूने जा रही इस महंगाई की बात ही नहीं करते। हालांकि नरेंद्र मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं तब से कई बार मन की बात कर चुके हैं। जनता क्या करे मन मसोसकर उनकी मन की बात अनमने ढंग से सुन लेती है। बेचारी जनता के पास और विकल्प भी क्या है? अब उनके पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह रेडियो तो है नहीं! विरोध, प्रदर्शन-बस यही तरीके हैं, सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के। मगर कितना विरोध करेंगे? रोज़ एक चीज़ महंगी करने की घोषणा हो रही है। कभी रेलवे टिकट तो कभी पेट्रोल-डीज़ल। सब्जि़यां और राशन तो अपने आप ही महंगे होते हैं। बिना घोषणा किए ही। अच्छे दिन के चुनावी जुमले के साथ आई भाजपा सरकार लगातार लोगों को महंगे दिनों का तोहफा दे रही है।