योगेन्द्र यादव द्वारा बनाई गई राजनैतिक संस्था ‘स्वराज अभियान’ की नयी रिपोर्ट के अनुसार, बुंदेलखंड में अकाल की गूंज हर तरफ से आ रही है। दिसम्बर 2015 में स्वराज अभियान ने सूखा-ग्रस्त बुंदेलखंड का निरीक्षण किया था, जिसमें सरकार को बुंदेलखंड की स्थिति पर चेतावनी दी गयी थी।
इसी निरीक्षण के दूसरे भाग को पूरा करते हुए योगेन्द्र यादव ने मीडिया को बताया कि “जानवरों के लिए अकाल आ चूका है। पानी का संकट टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और दतिया में खतरनाक अनुपात तक पहुंच गया है।”
स्वराज अभियान का सर्वेक्षण बुंदेलखंड के ग्यारह जिलों के 122 गावों में किया गया।
इस सर्वेक्षण की कुछ मुख्य बातें इस तरह हैं-
- पिछले एक महीने में उत्तर प्रदेश के 41 फीसदी गांवों और मध्य प्रदेश के 21 फीसदी गांवों में भुखमरी के कारण जानवरों की मौत हुई है।
- मध्य प्रदेश के चालीस प्रतिशत गांवों में दो या दो से कम हैंडपंप सही पाए गए है।
- मध्य प्रदेश की तुलना में यूपी के गावों की हालत थोड़ी बेहतर है। यूपी के 14 प्रतिशत गावों में दो या दो से कम सही हैंडपंप पाए गए हैं।
- दोनों राज्यों में केवल 20 प्रतिशत गांवों में सरकार ने नए हैंडपंप लगाये हैं और बिगड़े हैंडपंप की मरम्मत की है।
- यूपी में भुखमरी छाई हुई है, यहां के उनसठ फीसदी गांवों में दस परिवारों को एक बार का खाना भी प्राप्त नहीं हो रहा है।
- यूपी के उन्नीस प्रतिशत गावों में किसान परिवारों की स्थिति इतनी बुरी है कि कुछ परिवार भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहे हैं।
- सर्वेक्षण में यह भी सामने आया है कि यूपी के केवल छः फीसदी और मध्य प्रदेश के तीस फीसदी गांव के किसानों को मुआवजा मिला है।