धर्म और आस्था को आधार बनाकर गांव, कस्बों और शहरों में तरह तरह के किस्से गढ़े जाते हैं। अंधविश्वास को आधार बनाकर कई तरह के अपराध हो रहे हैं। खुलेआम ठगी चल रही है। लेकिन इसे रोकने के लिए कोई कानून नहीं है।
ताजा मामला बांदा जिले का है। यहां एक गांव में एक लड़के ने नागिन से शादी करने के नाम पर नागपंचमी के दिन भारी भीड़ जुटाई। लोगों ने खूब चढ़ावा चढ़ाया। अब लड़का जेल में है। इससे मिलती जुलती एक घटना फैजाबाद के गोसाईगंज ब्लाक के एक गांव में पिछले साल घटी थी। यहां एक खेत में निकले सांप को लेकर सांप्रदायिक झगड़ा हो गया। हद तो तब हो गई जब सरकार ने एक बाबा के सपने के आधार पर पिछले साल उन्नाव में एक किले की खुदाई गड़ा धन निकालने के लिए करानी शुरू कर दी।
अंधविश्वास के खिलाफ महाराष्ट्र के नरेंद्र दाभोलकर ने एक आंदोलन खड़ा किया था। उन्होंने एक संस्था भी बनाई थी जिसमें जादू-टोना या अंधविश्वास का भांडाफोड़ वैज्ञानिक जांच के जरिए किया जाता है। महाराष्ट्र में वह अंधविश्वास के खिलाफ एक विधेयक पारित करवाकर सख्त कानून बनाने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना जैसे राजनीतिक दल इस विधेयक के विरोध में थे। इनका मानना था कि यह कानून भारतीय संस्कृति, परंपराओं और हिंदू धर्म को नुकसान पहुंचाएगा। इस बीच दाभोलकर की हत्या हो गई। अब सरकार को चाहिए कि दाभोलकर के अंधविश्वास विरोधी विधेयक को पारित कराकर न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में इस कानून को लागू करे। साथ ही लोगों के बीच जागरुकता और सजगता फैलाने के लिए अभियान चलाए जाएं।