जिला झांसी, शहर झांंसी अंग्रेजन के खिलाफ रानी लक्ष्मी बाई को साथ देबे वाली झलकारी बाई के बहादरी और हिम्मत के कहानी को शायद ही कछु लोग जानत होंहे।
झलकारी बाई को जन्म 22 नबम्बर में सन 1830 में झांसी के भोजला गांव में एक गरीब कोरी परिबार में भओ तो। झलकारी बाई के बाप को नाम सदोवा उर्फ़ मूलचंद कोरी हतो और इनकी मताई को नाम जमुना बाई उर्फ़ धनिया हतो। झलकारी बाई हल्के सेई साहसी हती और बे जोन काम कि मन में ठान लेत ती बाए पूरो करके मानत ती। झलकारी बाई जंगल में लकडियां काटबे जात ती। सो एक दिना एक बाघ ने झलकारी बाई पे हमला करो पेले तो झलकारी बाई डरानी फिर उनने हिम्मत से काम लओ और अपनी कुल्हाड़ी से बाघ को मार डारो और वा दिना बे लकड़ियां कि जगा बाघ को अपने कन्धा पे लटका के घर पोची। जब उनके बाप ने देखो और कई के तुम एक दिना एसे ही अपने बुंदेलखंड कि रक्षा कर हो। झलकारी बाई कि मताई की छोटे में ही मौत हो गयी ती। तो झलकारी बाई के बाप ने उने अपने मोड़ा के समान पालो और उनने झलकारी बाई को सब हथियार चलाबो सिखाओ और घुड सबारी भी सिखाओ झलकारी बाई को बिवाह पूरण कोरी के संगे भओ पूरण लक्ष्मी बाई कि सेना में सिपाही हते। बिवाह के बाद झलकारी बाई झांसी आ गयी। पूरण घर में हमेशा लड़ाई कि बाते करत ते और झलकारी बाई बड़े ध्यान से बाते सुनती। रानी लक्ष्मी बाई के ते एक त्यौहार हतो हल्दी कुम कुम को जी में उनकी भेट झलकारी बाई से भई। सो फिर लक्ष्मी बाई ने ओरतन कि एक सेना तैयार करी जब लक्ष्मी बाई ने उने देखो के जे तो हमाई हम सकल हे और बे गयी सो उनने खुद झलकारी बाई को हांथ पकरो। सन 1857 के पेले युद्ध में स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजी सेना से रानी लक्ष्मी बाई को घेर लओ तब झलकारी बाई ने बड़ी सूझ बूझ से स्वामीभक्ति और राष्ट्री्यता को परिचय दओ। अपने घोड़ा पे सवार होके कालपी शहर चली गयी। और झालकरी बाई ने युद्ध करो युद्ध में झलकारी बाई को एक गोली लगो और जय भवानी बोलत भई बे जमीन पे गिर परी और उनकी मोत 4 अप्रैल 18 57 में हो गयी। एसी महान वीरांगना हती झलकारी बाई आज भी बुंदेलखंड कि लोकगाथाओ और लोकगीतों में सुनी जात हे।
झलकारी बाई के सम्मान में सन 2001 में डाक टिकेट भी जारी करो झलकारी बाई कि महानता को देख के उने सम्मानित करबे के लाने प्रथक बुंदेलखंड राज्य बनाबे कि मांग करी ती भारत सरकार ने। झलकारी बाई कि महानता के लाने मैथली शरण गुप्त ने उनके ऊपर कुछ पंक्तियां लिखी।
जाकर रण में ललकारी थी वह तो झांसी कि झलकारी ती ,गोरो से लड़ना सिखा गयी ,हे इतिहास में झलक रही वह भारत कि ही नारी थी।
रिपोर्टर- लाली