जिला झांसी, गांव चौकापाठा, अंग्रेजन की गुलामी देखी देश की आजादी देखी लेकिन अबे तक अपने गांव में बिजली देखबे को तरस रए। सन उन्नीस सौ सैतालीस में आजादी तो मिल गयी लेकिन आजादी के सत्तर साल बाद भी चौका पाठा में बिजली नइ पहुची।जिला झांसी, गांव चौकापाठा अंग्रेजन की गुलामी देखी देश की आजादी देखी लेकिन अबे तक अपने गांव में बिजली देखबे को तरस रए। सन उन्नीस सौ सैतालीस में आजादी तो मिल गयी लेकिन आजादी के सत्तर साल बाद भी चौका पाठा में बिजली नइ पहुची। नबासी साल के शिवदयाल ने बदलत समय को करीब से देखो लेकिन अबे भी उनकी आंखे बिजली देखबे को तरस रई। आजादी के सत्तर साल बाद भी शिवदयाल बिजली पानी सड़क जैसी परेशानी से आज भी लड़ रए। शिवदयाल ने बताई के पहले तो अंग्रेजन को राज हतो ज़माने सीधे सच्चे हते छोटे छोटे घर मकान हते कोनऊ साधन नइ चलत ते। न कोनऊ विकास होत तो। और जब वोट लेबे को समय आ जात सो आश्वाशन दे देत। जब जीत तो कत के मंजूर हो गयी। अब कह रए अपने अपने साधन से लेआओ। बिल भी देत रसीद भी आती लेकिन पक्की बिजली नइ मिलत। दूर से डारे अपनी अपनी डोरी एसे जलात बिजली।
रिपोर्टर- सोनी
Published on Aug 16, 2017