शिक्षा अधिकार कानून में संशोधन करने के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संसद में बिल पेश कर दिया है। जावड़ेकर ने राइट टू फ्री एजुकेशन सेकेंड अमेडमेंट बिल, 2017 सदन में रखा है। साथ ही कहा है कि राज्य सरकारें इस बिल के समर्थन में हैं।
ये हैं प्रस्ताव…
-इस बिल में किए गए प्रस्तावों के अनुसार किसी भी विद्यार्थी को प्रदर्शन के आधार पर आगे की कक्षा में जाने से नहीं रोका जा सकता।
-5वीं कक्षा में दो बार परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।
-हर साल में दो बार मार्च और मई में परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।
-अगर कोई विद्यार्थी मार्च में होने वाले पहली परीक्षा में असफल हो जाता है तो उसके लिए मई में दोबारा परीक्षा का आयोजन किया जाएगा।
-अगर कोई विद्यार्थी दोनों परीक्षाओं में ही फेल हो जाता है, तो स्टेट बोर्ड विद्यार्थी को उसी कक्षा में रखने का फैसला कर सकता है।
बता दें कि देश में मौलिक अधिकार के रूप में छह से चौदह साल के आयु समूह में सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान करता है। आरटीई अधिनियम 1 अप्रैल, 2010 को लागू हुआ था। आरटीई अधिनियम के शीर्षक में ‘नि:शुल्क और अनिवार्य’ शब्द सम्मिलित हैं। यह किसी पड़ोस के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने तक नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के लिए बच्चों को अधिकार देता है।