वाराणसी, बीएचयू में आए दिन हो रहे महिला हिंसा और छेड़खानी से परेशान, छात्राएं धरने-प्रदर्शन पर उतर आई हैं, उनका आरोप है कि अकसर कॉलेज में लड़कियों के साथ बदतमीजी होती रहती है और प्रसाशन, शिकायत के बाद भी नहीं सुनता। इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब प्राक्टर के सामने बदतमीजी हुई और प्राक्टर ने लड़की को ही डांट दिया। जब कहीं से न्याय नहीं मिला तो लड़कियां कॉलेज के मुख्य द्वार पर धरने पर बैठ गई हैं ।
देश के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेज में से एक माने जाने वाला बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी धरने और महिला हिंसा की आवाज़ से समय-समय पर गूंजता रहा है, कभी आरएसएस ने आतंक मचाया तो कभी कुछ शोहदों ने लड़कियों के साथ बदतमीजी की। ये पहली बार नहीं है जब बीएचयू परिसर में किसी लड़की के साथ छेड़खानी हुई है, फर्क बस इतना है कि अब बर्दाश्त से बाहर हो गया है।
आकांक्षा गुप्ता नामक विजुअल आर्ट्स की छात्रा के साथ महीने भर पहले कैम्पस के कुछ लड़कों ने कैम्पस के अन्दर बदतमीजी की। वार्डेन से शिकायत करने के बाद भी जब कुछ नहीं हुआ, तो आकांक्षा ने क्रोध में सर के बाल मुंडवा लिए, ये कहते हुए की फिर शायद उसके साथ छेड़खानी ना हो। आकांक्षा ने आगे बताया कि 21 सितम्बर को शाम को छह बजे कैम्पस के ‘भारत कला भवन’ के पास एक और लड़की के साथ जब कुछ लड़को ने छेड़खानी की, तो प्रोक्टर ने उसे जवाब दिया की जब शाम के छह बज गए हैं, तो वो छात्रा हॉस्टल में क्यों नहीं है? और क्या वो बलात्कार का इंतज़ार कर रही है।
प्रधानमंत्री और बनारस के सांसद नरेन्द्र मोदी जब वाराणसी दौरे पर गए तब उनका काफिला बीएचयू से होकर गुजरना था लेकिन छात्राओं के धरने – प्रदर्शन की वजह से रास्ता बदला दिया गया । और धरने के दो दिन बाद तक भी तक कॉलेज के वीसी गिरीश त्रिपाठी लड़कियों से नहीं मिले।
धरने पर बैठी छात्राओं में सीमा ने कहा, “नरेन्द्र मोदी यहाँ के सांसद हैं लेकिन वो तो हमारी समस्या भी नहीं सुन सकते।“ वहीँ अनन्या ने कहा कि सब नेता केवल भाषण देते हैं। “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ किस काम का? जब आप बेटियों से अपना मुंह चुराकर भाग रहे हैं।”
बनारस देश का जितना मशहूर शहर है उतना ही मशहूर बीएचयू भी है, वहां की पढ़ाई, वहां का कैम्पस और भी बहुत कुछ। आखिर हो क्या गया है? मोदी जी आप वहां के सांसद हैं देश के केन्द्रीय कॉलेज में ये स्थिति आने वाले समय के लिए खतरे की घंटी है। ये ऐसा कॉलेज है जहाँ से देश का भविष्य तय किया जाता है और अगर यही होता रहा तो यकीन मानिए आने वाला समय आपके सपनों का भारत हो सकता है लेकिन महिला सुरक्षा का भारत कभी नहीं होगा, कभी भी वो आम नागरिक का भारत नहीं होगा, सही शब्दों में कहे तो वो सुरक्षित भारत नहीं होगा।