निजता का अधिकार मौलिक अधिकार बताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्शुअल चुनाव निजता का महत्वपूर्ण अंग है। साथ ही कहा कि डेटा प्रोटेक्शन के लिए सरकार को मजबूत तंत्र विकसित करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सहित 4 जज ने एक साथ जजमेंट लिखा जबकि बाकी 5 जजों ने अलग–अलग फैसले लिखे हैं लेकिन सभी ने एक मत से निजता के अधिकार को जीवन के अधिकार का मूलभूत हिस्सा करार दिया है।
सेक्शुअल ओरिएंटेशन को निजता का अहम अंग करार देने के बाद अब एलजीबीटी समुदाय की उम्मीद बढ़ी है कि समलैंगिकता को अपराध मानने वाले आईपीसी के सेक्शन 377 को खत्म करने का रास्ता साफ हो सकेगा। फिलहाल समलैंगिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बेंच में मामला चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि निजता के मूल में व्यक्तिगत घनिष्ठता, पारिवारिक जीवन, शादी, प्रजनन, घर, सेक्सुअल चुनाव सब कुछ है। साथ ही निजता व्यक्तिगत स्वायत्तता की मांग है जो किसी के जिंदगी में महत्वपूर्ण रोल रखती है। व्यक्ति की चाहत, जीवन शैली स्वभाविक तौर पर उसकी निजता है। निजता बहुलता और विविधता वाली संस्कृति को भी प्रोटेक्ट करता है। ये भी समझना होगा कि किसी की भी निजता सार्वजनिक जगह में भी खत्म नहीं होती।
एलजीबीटी के अधिकार को तथाकथित अधिकार कहा गया था जो नहीं कहा जाना चाहिए था। उनका अधिकार भी असली अधिकार है। जीवन के अधिकार से उनको निजता का अधिकार मिला हुआ है। समाज के हर वर्ग को संरक्षण मिला हुआ है। उसमें भेदभाव नहीं हो सकता। चूंकि धारा–377 का मामला लार्जर बेंच में लंबित है ऐसे में इस मसले पर वही फैसला लेंगे।