खबर लहरिया Blog बिहारी हूँ तो क्या सभ्य नहीं हो सकता? ये कैसी रूढ़िवादी विचारधारा है?

बिहारी हूँ तो क्या सभ्य नहीं हो सकता? ये कैसी रूढ़िवादी विचारधारा है?

हर व्यक्ति द्वारा समाज के बड़े मुद्दों की तरफ़ गौर से ध्यान दिया जाता है। वहीं समाज के कुछ विषय जो हम सब आमतौर पर अपनी बोली में इस्तेमाल करते है, उसे कभी समस्या के रूप में देखा ही नहीं जाता। बिहारी शब्द दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में बहुत सुनने को मिलता है। लेकिन बिहार से आए लोगों के लिए बिहारी शब्द अब उनके राज्य की पहचान से ज़्यादा उनके लिए गाली बन गयी है।

What conservative ideology with Bihari

बिहार शब्द सुनकर सबसे पहले आपके मन में क्या ख्याल आता है? उनकी वेशभूषा, बोलचाल, रहनसहन? या फिर इसके अलावा यह किअरे! तुम बिहारी हो तुम्हारे यहां तोतू लगावे लू लिपिस्टिक, जिला टॉप लागे लागाना बजता है ना। तुम्हें पता है कि इसका अर्थ कितना बेकार है पर हाँ शादियों में इन गानों में नाचने में बड़ा मजा आता है। हा हा हाकितनी मज़ेदार बात है ना, चीज़ गलत भी है पर क्योंकि वह चीज़ हम कर रहे हैं तो वह सही है

बिहारी अरे! उनके यहां के लोगों को तो बोलने की ही तमीज़ नहीं है। ना बैठना आता है, ना ही कुछ और करना आता है। वह लोग तो बस रिक्शा या ऑटो चलाने का ही काम करते हैं। बिहार राज्य से लोग बड़ी मात्रा में शहर की तरफ रोज़गार की तलाश में आते हैं। लेकिन यह कुछ सवाल है जो हर बिहार से आये व्यक्ति को सुनना पड़ता है। 

बिहारी को लेकर कही जाने वाली रूढ़िवादी विचारधारा

What conservative ideology with Bihari

  1. वाह! बिहारी हो फिर भी इंग्लिश आती है?

अरे! आती है क्योंकि पढ़ी है। बिहार में भी स्कूल है जो इंग्लिश पढ़ाते हैं। क्या बिहारी व्यक्ति इंग्लिश नहीं पढ़ सकता? या सिर्फ यह मानसिकता है कि वह सिर्फ भोजपुरी,अवधि,मैथली आदि भाषा ही बोल सकते हैं।

  1. तुम सच में बिहारी हो? लगता तो नहीं!

अब बिहारी लगने के लिए धोती, कुर्ता और साड़ी पहननी पड़ेगी? या शरीर पर हमेशा गमछा (अंगवस्त्र को कहा जाता है) लटका कर घूमना होगा? या फिर वो इंसान ही नहीं है। उनकी चार आंखे, चार कान होते हैं क्यों? नहीं मतलब, आप ही बता दो कि आखिर एक बिहारी को आपके अनुसारबिहारीबनने के लिए क्या करना चाहिए? असली बिहारी आखिर लगता कैसा है? कहीं एलियन की तरह तो नहीं लगता?

  1. तुम्हारे लिए हिंदी बोलना मुश्किल होगा? वहां तो बस भोजपुरी ही बोली जाती है ना?

अरे! थोड़ा तो कुछ सोचो कहने से पहले। आप एक राज्य की बात कर रहे हो। थोड़े तो समझदार बनकर गूगल ही कर लो। राज्य में सिर्फ भोजपुरी ही नहीं बल्कि मगही,मैथिली, अंगिका और वजीका भी बोली जाती है। इसके अलावा लोग हिंदी और अंग्रेज़ी भी बोलते और समझते हैं। 

लोगों द्वारा इस तरह के सवाल पूछना उनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है। यहां तक की शहर में रहने वाला शिक्षित समाज भी ऐसे पेचीदे सवाल पूछता है। अब ऐसे लोगों को क्या ही कहा जाए। क्या आप जानते हैं कुछ ऐसे छोटी विचारधारा वाले लोगों को?

  1. बिहारी होकर भी तुम यूपीएससी की परीक्षा नहीं देते?

नहीं देते भयी! वैसे भी बिहार की जनसंख्या 9.9 करोड़ की है। अब हर कोई तो यूपीएससी नहीं दे सकता ना। इसके अलावा भी बहुत सी चीज़े है जिसे वह करना चाहते हैं और कर रहे हैं। एनडीटीवी के संपादक रविश कुमार बिहार से है। वह एक पत्रकार है। उन्होंने यूपीएससी नहीं दी। तो क्या वह बिहारी नहीं है?

अभिनेता मनोज बाजपई, पंकज त्रिपाठी यह दोनों बिहार से हैं और उनका फिल्मी जगत में काफ़ी बड़ा नाम है। इन्होंने ने भी यूपीएससी की परीक्षा नहीं दी। कहीं आप यह सुनकर हैरान तो नहीं है ना?

  1. तुम बिहारीमैंकोहमक्यों कहते हो?

किसी को इज़्ज़त देना क्या बुरी बात है? तुम नहीं देते क्या? अरे! दे दिया करो, इज़्ज़त देने में कुछ घट तो नहीं जाएगा ना? वैसे भीहमशब्द का इस्तेमाल और भी अलगअलग क्षेत्रों में किया जाता है।हमबोलने से आपको कोई परेशानी है क्या? अगर है भी तो अपने पास रखो। 

इतना ही नहीं कई बार तो लोगों द्वारा यह भी कहा जाता है कि ज़राहमबोलकर तो बताना। आपको बोलना नहीं आता क्या? जो हम बोलकर बताएं। अजीब मानसिकता है। ना इज़्ज़त रास आती है और ना ही तू बोलना। अब बता ही दो, चाहते क्या हो? बोलना छोड़ दे? आपहमबोलना क्यों नहीं शुरू करते? शर्म आती है क्या?

  1. लॉलीपॉप लागे लूगाना गाकर सुनाओ ना?

उफ्फज़रूरी नहीं की हर बिहारी को भोजपुरी आती हो और वह भोजपूरी गाना सुनता हो। ऐसा ज़रूरी है क्या कि आपको सब कुछ आता हो? वैसे भी, बिहार में लॉलीपॉप के अलावा भी कई गाने बजाए जाते हैं। जिसे आपने सुना नहीं होगा। सुनोगे भी कैसे? एक सीमित सोच जो बनाकर रखी हुई है।

मालिनी अवस्थी के बारे में सुना है? यह बिहार की लोकप्रिय गायिका हैं। लेकिन यह सिर्फ भोजपुरी गाने नहीं गाती।तेरी कातिल निगाहों ने मेरा‘, ‘दिल मेरा मुफ़्त काजैसे हिंदी गाने भी इन्होंने गाएं हैं। 

  1. तुम बिहारी होकर गोरे कैसे हो?

क्यों भयी, ये कहीं लिखा है क्या कि बिहारी लोगों का रंग गाढ़ा और सांवला ही होगा और वो गोरे नहीं हो सकते? हां यार, हमारा रंग गोरा है और हम बिहारी है। गज़ब बात करते हो, मेरे मातापिता गोरे हैं इसलिए मैं भी हूँ। 

  1. तुम बिहारी हो तो हाथ से खाना खाते होगे?

हां हांहाथ से ही खाते हैं। आप पैर से खाते हो क्या? या फिर इसके अलावा और भी कोई तरीका है खाना खाने का?

  1. तुम्हारे घर पर तो हमेशा लिट्टी चोखा बनता होगा?

नहीं बनता भाई, बहन!! रोज़रोज़ एक चीज़ कोई नहीं खा सकता। जैसे आप लोग नहीं खा सकते।

  1. तुम चावल बहुत खाते होगे?

सिर्फ चावल नहीं, उसके साथ में सब्ज़ी, रोटी,दाल, सलाद और भी सारी चीजें खाते हैं। आप सिर्फ चावल खा सकते हो क्या? हम तो नहीं खा सकते।

  1. तुम्हारे घर तो कट्टा होगा, कभी चलाया है?

नहीं है भयी, कट्टा रखने का अधिकार नहीं मिला है। कभी मिलेगा तो आप पर चला कर देखूं? पता चल जाएगा, चलाना आता है या नहीं।

  1. तुम तो नकल करने में माहिर होगे?

हाँ, क्यों नहीं। ज़िंदगी भर नकल करके ही तो पास हुए हैं। ( यह कटाक्ष है) आप लोग तो बहुत ईमानदार हैं। बिना नकल करे ही आगे बढ़ गए, क्यों?

What conservative ideology with Bihari

आखिरी में, मैं सिर्फ यह कहना चाहती हूं कि किसी भी व्यक्ति को अपनी बनाई हुई मानसिकता के अनुसार चित्रित करना जायज़ नहीं। बिहारी कोई असभ्य, दबीकुचली सोच वाला, हथियारों को रखने वाला, जान से मारने की धमकी देने वाला, जो इंग्लिश नहीं बोल सकता, सिर्फ भोजपुरी बोलता है, इन सब चीजों के आधार पर किसी को बिहारी नहीं कहा जा सकता। बिहारी का अर्थ है जो बिहार से संबंध रखता है। जैसे राजस्थानी लोग राजस्थान से, गुजराती लोग गुजरात से आदि। तो फिर बिहारी को लेकर इतनी छोटी विचारधारा क्यों

हमें अपनी मानसिकता से बाहर निकलकर एक खुली और साफ़ तस्वीर देखने की ज़रूरत है। लोगों को सबसे पहले इंसान की तरह देखने की ज़रूरत है। क्या हुआ, जो व्यक्ति एक दूसरे से अलग है? क्या फिर हम उसे इंसान कहना छोड़ देंगे? विभिन्नता होना ही तो हमारे देश की खास बात है। फिर किसी को सिर्फ किसी एक सोच के अनुसार देखना कितना जायज़ है। हमारी सोच की दीवार के आगे भी बहुत कुछ है, जिसे सोचने, समझने और देखने की ज़रूरत है। अगर आपको लगे कि अब आपको अपनी विचारधारा को बदल लेनी चाहिए तो बदल लीजिए। बदलाव ही जीवन को नई सोच देता है। अंत में, सिर्फ यही किहमें अपनी विचारधारा के घेरे के अनुसार लोगों के प्रति अपनी सोच नहीं बनानी चाहिए।