लुप्त होती नदियां अब किसी की मीत नहीं!

गांवो-कस्बों से बहने वाली छोटी नदियां अब खुद की प्यास भी नहीं बुझा पातीं। न थाम पातीं हैं दामन आते-जाते राही और मुसाफिरों का। न दे पातीं हैं उनकी थकान … Continue reading लुप्त होती नदियां अब किसी की मीत नहीं!