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आंकड़ों को क्यों छुपा रही है सरकार?

साभार: पिक्साबे

सोचिए, अगर समय-समय में देश की स्थिति बताने वाली रिपोर्टों को सार्वजनिक नहीं किया जाए तो क्या देश का विकास दिख पाएगा? कुछ ऐसी ही कोशिश हो रही है अपराध, रोजगार, किसान आत्महत्या, जाति और खेती के आंकड़ों के साथ।

जिन्हें कुछ समय से सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। 2017-18 के लिए वार्षिक रोजगार सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी नहीं करने का केंद्र सरकार का निर्णय,कथित तौर पर 29 जनवरी, 2018 को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के कार्यवाहक प्रमुख, पीसी मोहनन के इस्तीफे का कारण बना है। हम बताते चलें कि एनएससी को सांख्यिकीय मामलों में नीतियों, प्राथमिकताओं और मानकों को विकसित करने का काम सौंपा गया है।

एनएससी ने 2017-18 के लिए वार्षिक रोजगार सर्वेक्षण की रिपोर्ट को मंजूरी दी थी, जिसे सरकार ने जारी नहीं किया है, जैसा कि मोहनन ने समाचार पत्र ‘द मिंट’ को अपने इस्तीफे के कारणों में से एक बताया था।

सरकार ने 30 जनवरी, 2019 को एक बयान जारी कर कहा कि एनएससी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है,मोहनन और कृषि अर्थशास्त्री जेवी मीनाक्षी ने एनएससी की किसी भी बैठक में अपनी चिंताओं को नहीं उठाया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एनएसएसओ जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 की अवधि के लिए 3 मासिक आंकड़े को संकलित कर रहा है और इसके बाद रिपोर्ट जारी की जाएगी।

दुर्घटनाओं और आत्महत्या की रिपोर्ट, जो किसान आत्महत्याओं के बारे में जानकारी प्रदान करती है और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ( एनसीआरबी) द्वारा सामने लाई जाती है, अब तक चार साल से जारी नहीं हुई है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर आंकड़े जो प्रत्येक तिमाही औद्योगिक नीति और उत्पादन विभाग ( डीआईपीपी) द्वारा लाया जाता है।  द हिंदुस्तान टाइम्स की जुलाई 2015 की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कार्य की देरी के लिए भारत के आकार और जनसंख्या को दोषी ठहराया। उदाहरण के लिए, जनगणना गणनाकार  ने 33 करोड़ घरों को कवर किया और 46 लाख प्रविष्टियां निकालीं, जिन्हें पढ़ने के लिए 35512 घंटे की जरूरत थी।

हाल ही में, केंद्र योजनाओं की वेबसाइटों से गायब होने वाले आंकड़ों पर भी चिंता जताई गई है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत-ग्रामीण वेबसाइट से आंकड़े के कई सेट हटा दिए गए थे, जिसमें खर्च पर आंकड़े, अस्वास्थ्यकर शौचालय का रूपांतरण, जो मैला ढ़ोने की प्रथा को बढ़ावा देता है। राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण की रिपोर्ट तैयार हो गई है लेकिन जारी नहीं की । जबकि इस रिपोर्ट से देश की पोषण नीति को मदद मिलती।

साभार: इंडियास्पेंड