खबर लहरिया जवानी दीवानी मी टू की आवाजों के बीच मुक्वेज और मुराद को मिला शांति के लिए नोबेल पुरस्कार

मी टू की आवाजों के बीच मुक्वेज और मुराद को मिला शांति के लिए नोबेल पुरस्कार

साभार: विकिपीडिया

इस साल दुनिया भर में महिलाओं ने यौन हिंसा के विरोध में मी टू अभियान को शुरू किया, इसका असर इस साल के शांति पुरस्कार में भी दिखा। 2018 के शांति के लिए नोबेल पुरस्कार के विजेता इस साल डेनिस मुक्वेज और नाडिया मुराद को चुना गया है। इन दोनों ने  यौन हिंसा को युद्ध के हथियार की तरह इस्तेमाल होने के खिलाफ प्रयास में अपना बड़ा योगदान दिया है। नाडिया मुराद मलाला युसूफजई के बाद दूसरी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। मलाला को साल 2014 में  17 साल की उम्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। 

वहीं पेशे से गायनेक्लोजिस्ट मुक्वेग को पिछले 10 सालों में इस शांति पुरस्कार विजेता के लिए चुना जा रहा था। वे लंबे समय से यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं के लिए काम करते आ रहे हैं। 2011 में उन्होंने अपने लेख में सेंट्रल अफ्रीका के देश ईस्ट कोंगो को दुनिया का बलात्कार की राजधानी कहा था। उन्होंने इसे धरती पर महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगह बताई थी।

नाडिया मुराद को अगस्त 2014 में कुछ यजीदी महिलाओं के साथ इराक में आईएसआईएस आतंकियों के द्वारा अपहरण कर लिया गया था। वे 2016 में सम्मानीय सखारोव मानवाधिकार पुरस्कार भी जीत चुकी हैं।

नाडिया मुराद को पूरे परिवार के साथ आईएसआईएस आतंकियों के द्वारा अपहरण कर लिया गया था। उस दौरान इराक में आईएसआइएस आतंकियों को लेकर काफी दहशत फैली हुई थी। वे लगातार लोगों की हत्या कर रहे थे और महिलाओं का बलात्कार कर रहे थे।