खबर लहरिया राजनीति सूचना के अधिकार से कैसा डर ?

सूचना के अधिकार से कैसा डर ?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राजनीतिक पार्टियों को सूचना के अधिकार में लाने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद पार्टियों में हलचल मच गई। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया कहा है कि सूचना के अधिकार के भीतर राजनीतिक दलों को नहीं लाना चाहिए।
मगर सवाल उठता है कि यह हंगामा क्यों बरपा है। पारदर्शिता के बिना लोकतंत्र अधूरा है। लोगों को उन राजनीतिक दलों की आतंरिक स्थिति, कामकाज और आय-व्यय का ब्यौरा जानने का हक है जिन्हें वह वोट देते हैं। लेकिन भारत की राष्ट्रीय पार्टियां अपने आंकड़ों को छिपाना चाहती हैं। जबकि केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) राजनीतिक दलों को 2013 में ही सार्वजनिक संस्थाएं (पब्लिक अथॉरिटी) घोषित कर चुकी है। इसके तहत ये पार्टियां सूचना के अधिकार (आरटीआई) की परिभाषा में लोगों को जानकारी देने के दायरे में हैं। लेकिन सभी पार्टियां इस दायरे में आने के खिलाफ हैं।

टालते रहे राजनीतिक दल
वर्ष 2005 में संसद से सर्वसम्मति से सूचना का अधिकार कानून पास हुआ। लेकिन राजनीतिक दल इससे खुद को दूर रखने के हथकंड़ों में जुटे रहे। खुद को सार्वजनिक संस्थाएं मानने से देश के राजनीतिक दल बचते रहे। आखिरकार जून 2013 में सीआईसी ने फैसला दिया कि राजनीतिक दल सार्वजनिक संस्थाएं हैं ऐसे में ये सार्वजनिक संस्थाओं के रूप में आरटीआई के दायरे में हैं। इसके बाद भी पार्टियांे ने सीआईसी के फैसले को लागू नहीं किया।

पार्टियां आरटीआई से बचना क्यों चाहती हैं?
पहला कारण -इन पार्टियों  के पिचहत्तर से अस्सी प्रतिशत तक घोषित आमदनी के स्रोत को सार्वजनिक ही नहीं किया जाता है। दूसरा-पार्टियां किसी निजी कंपनी के रूप में काम करती हैं। चुनाव के दौरान टिकट कैसे बांटे जाते हैं। किसी को टिकट देना का क्या आधार है ये गुप्त रखा जाता है। तीसरा-कहने को तो सभी पार्टियों का आंतरिक संविधान है, लेकिन यह कागजों में ही होता है। चैथा-पार्टियां कहती हैं आरटीआई से कामकाज प्रभावित होगा। ये गलत है। पिछले दस साल में आरटीआई से संस्थाओं का कामकाज बेहतर ही हुआ है।
राजनीतिक पार्टियों का यह तर्क बिल्कुल गलत है कि विपक्षी दल इसका नाजायज फायदा उठाएंगे। क्योंकि इस कानून की धारा-आठ में जो सूचनाएं सार्वजनिक करने योग्य नहीं हैं, उन्हें सार्वजनिक न करने का नियम है। यानी नियम है कि अगर कोई सूचना किसी भी संस्थान की शक्ति में कमजोरी लाए या उसके कार्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करे तो ऐसी सूचनाएं जाहिर नहीं होंगी।