खबर लहरिया चित्रकूट विकास में बाधा बन रहे डाकू

विकास में बाधा बन रहे डाकू

2007 में ददुआ की दहशत के अंत के बाद एक बार फिर डाकूओं का दर बुंदेलखंड लौटा है।

2007 में ददुआ की दहशत के अंत के बाद एक बार फिर डाकूओं का दर बुंदेलखंड लौटा है।

जिला चित्रकूट और बांदा। यहां पर डाकू बलखडि़या और छोटे छोटे डाकुओं के गिरोह के लोग गांव के लोगों का जीना हराम किया है। डाकुओं के यह गिरोह विकास के कामों बाधा पहुंचाने के लिए लोगों के साथ मारपीट करते हैं। इनका मकसद विकास कार्यों में लगने वाली रकम का कुछ हिस्सा कमीशन के रूप में हथियाना है।

ब्लाक कर्वी क्षेत्र भरतकूप गांव बदरी। यहां गांव के कुछ लोगों ने बताया की गांव बदरी में पी. डब्लू. डी. के द्वारा दो किलो मीटर सम्पर्क मार्ग बनवाने का काम चल रहा है। यह काम यहां स्थित कल्लू मैनेजर के पुरवा से गोलरियन की भौंठी तक कराया जाना है। काम का ठेका दिनेश यादव ने लिया है। गांव का रमेश इमसें जे.सी.बी मशीन चलाने का काम रहा था।

9 मई को 12 बजे रात कई बदमाशों ने गांव को घेर लिया और गांव के बसंत लाल से रामहित और लल्लू गर्ग को बुलाने को कहा। यह दोनों मेठ हैं। संपर्क मार्ग बनने में इनकी खास भूमिका है। मजदूरों से काम करवाने का जि़म्मा इन्हीं का है।

बसंत लाल ने इन बदमाशों से कहा कि यह दोनों अभी गांव में नहीं हैं। इस पर गुस्साए बदमाशों ने उसे बंदूक बट से मार मारकर घायल कर दिया। जेसीबी मशीन को आग लगा दी। काम में लगे ट्रैक्टर को भी तोड़ दिया।
मेठों ने बताया कि वह घटना के समय गांव में ही थे। मगर न होने का बहाना बनाकर छिपे रहे। अगर यह लोग निकलते तो इन्हें गोली मार दी जाती। गांव वालों ने बताया कि यह लोग बलखडि़या गिरोह के थे। यह लोग यहां एक शादी में शामिल होने आए थे। यह लोग संपर्क मार्ग बनाने में कमीशन की मांग करते हैं।

पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
नवंबर 2014 में जिला बांदा, ब्लाक नरैनी के गोबरी गोड़राम पुर में एक करोड़ छप्पन लाख की लागत से बन रही सड़क में भी डाकुओं की तरफ से एक चैथाई कमीशन की मांग की गई है। सड़क बनने के दौरान इस गिरोह ने तीन बार काम में बाधा डाली थी। जबरापुर और कलवरिया गांव में पिछले साल नवंबर में भी ऐसी ही घटना हुई थी। यहां पर बन रहे सम्पर्क मार्ग में भी कमीशन के लिए मजदूरों के साथ डाकुओं ने मारपीट की थी। मांग पूरी न होने पर सीमेंट की बोरियां और काम में लगी मशीनों को बाण गंगा नदी में फेंक दिया था।

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