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हमाई चल गई, पे अगांऊ की न चलहे

DSCN0113महोबा शहर, पान खे लाने बोहतई प्रसिद्व हे, पे आज के समय में कोनऊ भी किसान पान की खेती करे खा तैयार नई होत हे। काय से रोज की रोज समय के साथे बदलाव होत हे। जीमें पैदावारी कम लागत ज्यादा ओर सरकारी सहायता कछू नई मिलत हे।
कल्लू, संतोष, बीरेन्द्र कुमार, ओर दयाशंकर कहत हे कि हम लोग ईखे आलावा कछू काम नई करत हे, पे अब लागत हे कि अगाऊं कि पीढ़ी जो काम ना करें। काय से ईमें मेहनत ओर लागत बोहतई लगत हे, मिलत कछू नइयां। हर मौसम में फसल बरबाद होत हे, चाहे सूखा, बारिस, ओलावृष्टि जा फिर पाला हो।
राजेश, लालता प्रसाद, मुन्नालाल ओर रामचन्द्र ने कहो कि एक बीघा के खेती में लगभग दो लाख रूपइया लगत हे। काय से चारऊ केती बांस, बल्ली, पन्नी ओर बेल लगा के बरेजो तैयार करें खा परत हे। हमाई तो चल गई पे अगांऊ की पीढ़ी ने चला पेहे। एई से हमाये लड़का बिटियन पढ़ लिख के आपन कछू धन्धा करहें। ई साल ज्यादा कोहरा के कारन पूरी फसल खराब हो गई हे। ईखी दरखास हमने 28 जनवरी खा डी.एम. वीरेश्वर सिंह खा दई हे, पे अश्वासन के अलावा कछू नई मिलो हे।
महोबा एस.डी.एम. राकेश कुमार गुप्ता ने कहो कि सर्वे करा के ऊखे लाभ दिबाओ जेहे। काय से पान की खेती में बोहतई नुक्सान भओ हे।